झारखंड की राजनीति में सक्रिय और जनता के बीच लोकप्रिय डुमरी विधायक जयराम महतो अब शिक्षा के क्षेत्र में भी मिसाल पेश कर रहे हैं. राजनीति में व्यस्त होने के बावजूद जयराम महतो अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (बीबीएमकेयू), धनबाद से अंग्रेजी में पीएचडी करने की शुरुआत की है और हाल ही में अपनी तीसरी वार्षिक रिपोर्ट सबमिट की है. गुरुवार को जब वह यूनिवर्सिटी पहुंचे तो इस मौके पर उन्होंने अपनी शिक्षा और विचारधारा के महत्व पर खुलकर बात की.
शिक्षा से विचारधारा का निर्माण
मीडिया से बातचीत के दौरान विधायक जयराम महतो ने कहा कि जनता उन्हें नई उम्मीद के रूप में देखती है और उनकी विचारधारा ही उनके 11 लाख वोटों के बैंक का आधार है. उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा से ही विचारधारा और नेतृत्व का निर्माण होता है. शिक्षा को लेकर उनकी यह प्रतिबद्धता उनके जीवन और राजनीति दोनों में साफ नजर आती है.
बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
बुधवार को बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि के मौके पर जयराम महतो बलियापुर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की और 15 मिनट के कार्यक्रम के बाद वापस लौट आए. उन्होंने बताया कि बलियापुर उनके लिए एक भावनात्मक क्षेत्र है. अगर वह वहां कार्यकर्ताओं के साथ जाते तो समय का नुकसान होता, जिसे वह परीक्षा की तैयारी के दौरान बर्दाश्त नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने अकेले जाकर श्रद्धांजलि दी.
चार दिनों से पढ़ाई में व्यस्त
विधायक ने बताया कि वह पिछले चार दिनों से पढ़ाई में व्यस्त थे. हालांकि, उन्होंने अपने सचिव को निर्देश दिया था कि अगर कोई गंभीर समस्या हो तो उन्हें अवश्य सूचित करें. जयराम महतो ने कहा कि इन दिनों वह केवल 30 प्रतिशत कॉल ही रिसीव कर रहे हैं और मुलाकातियों से परीक्षा के बाद मिलने का समय दिया है.
पीएचडी की प्रक्रिया और भविष्य की योजना
जयराम महतो ने बताया कि उनका पीएचडी रजिस्ट्रेशन 2021 में हुआ था. पहली रिपोर्ट 2022 में सबमिट की गई थी, अब तीसरी रिपोर्ट सबमिट की गई है. अगले साल उन्हें कन्क्लूजन रिपोर्ट जमा करनी होगी और 2026 तक उनका पीएचडी का काम पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट जमा करने के बाद अब वह फिर से क्षेत्रीय कार्यों में लग जाएंगे.
कॉलेज से विधानसभा तक का सफर
विधायक ने झारखंड के 24 साल के इतिहास में एक अनोखी उपलब्धि हासिल की है. वह राज्य के पहले छात्र हैं जो सीधे कॉलेज से विधानसभा पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी केवल छात्रों को ही नहीं बल्कि पूरे देश को है कि एक कॉलेज छात्र एमएलए बन गया. छात्रों को यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि उनके बीच का एक साधारण छात्र आज विधायक है.
नाम के आगे ‘डॉक्टर’ लिखने का अधिकार
नाम के आगे डॉक्टर और विधायक लिखे जाने के सवाल पर जयराम महतो ने भारतीय संविधान का हवाला देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 18 के तहत ‘विधायक’ या ‘आईपीएस’ जैसे उपाधियां नाम के बाद ही आती हैं. लेकिन ‘डॉक्टर’ उपाधि नाम के पहले लगाई जा सकती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में उनका नाम ‘डॉ. जयराम महतो’ होगा और उसके बाद ‘विधायक, डुमरी’ लिखा जाएगा.
शिक्षा और राजनीति में संतुलन
जयराम महतो ने अपनी शिक्षा और राजनीतिक जीवन को जिस तरह से संतुलित किया है, वह एक प्रेरणा है. वह न केवल अपने क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में सक्रिय हैं बल्कि अपनी शिक्षा को भी प्राथमिकता दे रहे हैं. उनका यह कदम युवाओं और छात्रों को प्रेरित करने वाला है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.