झारखंड के दुमका व बेरमो विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उप चुनाव को विरासत की जंग बना दिया गया है। और अब इसी के आड़ जुबानी जंग भी शुरू गई है। अब आलम ये है कि स्थानीय मुद्दों को छोड़कर, लोगों के समस्याओं को नजरंदाज कर चुनाव के उम्मीदवार और उनके पार्टी के लोग आपस में जुबानी जंग लड़ रहे है।
दुमका को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है। हालांकि, झामुमो को कई दफा यहां झटका लग चुका है। लेकिन फिर भी विरासत का तमगा बरकरार है।
इस बार मुख्य्मंत्री हेमंत की छोड़ी गई इस सीट पर महागठबंधन की ओर से उनके छोट भाई बसंत सोरेन को मैदान में उतारा गया है। यहां उनकी सीधी टक्कर भाजपा की डॉ लुईस मरांडी से हो रही है। वहीं बेरमो में पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह के असमय निधन के बाद उनके पुत्र कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह चुनाव में उतरे हैं।उनके खिलाफ मैदान में भाजपा के उम्मीदवार योगेश्वर महतो बाटुल हैं। अब ऐसे में महागठबंधन के आगे अपनी विरासत बचाने, तो एनडीए के समक्ष बकायदा अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है।
हुई है।
अब ये चुनावी जंग विरासत शब्द के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है। दोनों विधानसभा क्षेत्र के विकास से जुड़े मुद्दे नदारद हो गए हैं। और तो और, चुनाव प्रचार के दौरान की जा रही बातों से ये लड़ाई केंद्र और राज्य सरकार की जंग भी बन गई है। राज्य सरकार डीवीसी के बकाया, जीएसटी की कटौती और अब मेडिकल कॉलेज की सीटों की संख्या में कटौती को लेकर भारत सरकार पर हमलावर है।
दूसरी तरफ भाजपा, केंद्र सरकार के पक्ष में तर्क दे रही है। पार्टी प्रचारक नेता अपने भाषण में राज्य सरकार की खामियां गिनवा रहे है।