झारखण्ड के कई गौरवों के बिच अब एक और नाम जुड़ गया है। ये नाम है रांची की डॉ शिप्ती श्रद्धा सिंह का जो पेशे से तो एक चिकित्सक हैं पर अपने हौसले और हिम्मत के बदौलत इन्होने एक नया इतिहास रच दिया है। रांची की इस बेटी ने 17 अगस्त को यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर “माउन्ट एल्ब्रूस” पर भारत का तिरंगा फहराया। शिप्ती रांची के कोकर इलाके की रहने वाली हैं। वे दिल्ली के निजी अस्पताल में डॉक्टर हैं। यही नहीं, शिप्ती जनजातीय मुंडा समुदाय से भी जुड़ी हुई हैं। शिप्ती के साथ उनके 2 और साथी भी उनके साथ मौजूद थे जिन्होनें ये मुकाम हासिल करने में एक दूसरे का साथ दिया। जिसमे एक कोलकाता के कृष्णनेदु दास और दूसरे राजस्थान के अनिल रुलानिया शामिल है। कृष्णनेदु लगभग 20 वर्षों से पर्वतारोहण और ट्रैकिंग से जुड़े हुए हैं।
शिप्ती ने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि माउन्ट एल्ब्रूस काकेशस पर्वत श्रृंखला में यूरोप का सबसे ऊँचा पर्वत है, जिसकी ऊंचाई 18,510 फीट है। यह पर्वत जॉर्जिया और रूस की सीमा पर है। इस पर्वत का नाम विश्व की सप्त चोटियों में भी शामिल है। यह पर्वत दुनिया की सप्त चोटियों (पृथ्वी के सातों महाद्वीप में हर महाद्वीप के सबसे ऊंचे शिखर समूह को सप्त चोटी कहते हैं ) में से एक है।
डॉ शिप्ती 17 अगस्त की सुबह पर्वत पर पहुंची। इसके लिए आठ अगस्त को उनकी टीम मास्को रवाना हुई थी। 12 को दल बेस कैंप गाराबाशी स्टेशन पहुंचा। जहां इस दल ने भारत के 75वें स्वंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने की योजना बनाई पर खराब मौसम के चलते 5100 मीटर की ऊंचाई से लौटना पड़ा। 16 को पुनः चढ़ाई शुरू की और अगले दिन शिखर पर तिरंगा लहरा दिया। डॉ शिप्ती ने भारत और नेपाल में भी कई पहाड़ों पर ट्रैकिंग की है। इनमें नेपाल का अन्नपूर्णा बेस कैंप, लद्दाख का चादर ट्रेक, कश्मीर ग्रेट लेक ट्रेक और प. बंगाल का संदाक्फू ट्रेक शामिल हैं।