राजधानी के धुर्वा डैम से गुरुवार को हिंदपीढ़ी निवासी शाहीन परवीन का शव बरामद किया गया. पुलिस के अनुसार, शाहीन की शादी चार साल पहले बंगाल में हुई थी. शादी के बाद से ही वह पारिवारिक विवाद से परेशान थी. उनका एक बच्चा भी है. परिवार के तनाव से परेशान होकर शाहीन ने डैम में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने बताया कि परिजनों ने इसे पारिवारिक तनाव का परिणाम बताया है. घटना से पहले, 5 दिन पहले सिंह मोड़ कल्याणपुर की एक युवती का शव भी इसी डैम से बरामद हुआ था. उसी दिन सूचना मिली थी कि एक और महिला ने डैम में छलांग लगाई है. तब से एनडीआरएफ की मदद से महिला की तलाश की जा रही थी, जिसका शव गुरुवार को बरामद हुआ.
धुर्वा डैम में बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाएं
धुर्वा डैम आत्महत्या का सुसाइड प्वाइंट बनता जा रहा है. पिछले एक साल में यहां 14 से अधिक युवक-युवतियों ने छलांग लगाकर अपनी जान दे दी है. डैम पर सुरक्षा की भारी कमी है. प्रशासन की लापरवाही के चलते यह स्थान आत्महत्या के लिए आसान विकल्प बन चुका है.
पुलिस की लापरवाही
डैम की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ थाने की पेट्रोलिंग गाड़ी दिन में एक या दो बार चक्कर लगाती है और फिर लौट जाती है. यहां न तो बैरिकेडिंग है और न ही कोई गार्ड तैनात किया गया है. सुनसान जगह होने की वजह से तनावग्रस्त लोग यहां आसानी से पहुंचकर अपनी जान दे रहे हैं.
पिछले एक साल की प्रमुख घटनाएं
• 23 जनवरी 2025: हिंदपीढ़ी निवासी शाहीन परवीन ने डैम में छलांग लगाई. उनका शव दो दिनों बाद बरामद किया गया.
• 21 जनवरी 2025: सिंह मोड़ निवासी अनुष्का, पिता से डांट के बाद घर से निकली और डैम में छलांग लगाई. 5 दिन बाद शव मिला.
• 15 सितंबर 2024: धुर्वा टंकी साइट निवासी आइशा कुमारी ने डैम में छलांग लगाई. शव तीन दिन बाद बरामद हुआ.
• 27 अक्टूबर 2024: पोखर टोली की रेशमा परवीन ने प्रेमी के शादी से इंकार करने पर डैम में छलांग लगाई.
• 11 मई 2024: आर्या और आलोक नहाने के दौरान डैम में डूब गए.
डैम में आत्महत्या के कारण
• सुरक्षा का अभाव: डैम के आसपास सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है.
• सुनसान इलाका: डैम सुनसान और निर्जन क्षेत्र में स्थित है, जिससे लोग यहां आसानी से पहुंच जाते हैं.
• प्रशासन की अनदेखी: लगातार घटनाओं के बावजूद प्रशासन ने न तो गार्ड तैनात किए हैं और न ही बैरिकेडिंग की है.
कैसे रुक सकती हैं आत्महत्याएं?
डैम में आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
• डैम के चारों ओर बैरिकेडिंग लगाई जाए.
• सुबह से शाम तक गार्ड और जवानों की तैनाती हो.
• डैम के पास गोताखोरों को तैनात किया जाए, ताकि आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके.
• जागरूकता अभियान चलाया जाए और तनावग्रस्त लोगों की काउंसलिंग की व्यवस्था हो.
प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारी
धुर्वा डैम में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर समय रहते सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं, तो इन घटनाओं को रोका जा सकता है. पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि वे डैम को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं और वहां जाने वाले लोगों पर निगरानी रखें.