धनबाद के एडीजे उत्तम आनंद की मौत के मामले में गुरुवार को सीबीआई ने बड़ा खुलासा करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि जज की हत्या की गई है। उन्हें जानबूझ कर ऑटो से टक्कर मारी गयी थी। पकड़े गए दोनों आरोपियों में से एक का आपराधिक इतिहास रहा है और वह प्रोफेशनल मोबाइल चोरी करने वाला है। सीबीआई फुटेज के आधार पर संदिग्धों से पूछताछ कर रही है। जल्द ही षडयंत्र करने वालों तक सीबीआई पहुंच जाएगी। सीबीआई के संयुक्त निदेशक शरल अग्रवाल ने जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करते हुए हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। इस पर चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सीबीआई को अगले सप्ताह प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जज की हत्या हुई है इससे इनकार नहीं किया जा सकता। इस घटना के बाद न्यायिक अधिकारियों का मनोबल काफी गिरा है। सीबीआई जल्द इस मामले का खुलासा करे।
कोर्ट के पूर्व आदेश पर सीबीआई के संयुक्त निदेशक शरद अग्रवाल भी हाजिर हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले की जांच में 20 अधिकारी लगे हैं। हालांकि अभी तक मामले का पूरी तरह खुलासा नहीं हो सका है। लेकिन जल्द ही हम षडयंत्रतकारियों तक पहुंच जाएंगे। उन्होंने अदालत को बताया कि जिन दो लोगों को पकड़ा गया है उनसे कड़ाई से पूछताछ की जा रही है। दोनों हर बार नई कहानी बताकर गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि सीबीआई की अब तक की जांच से प्रतीत होता है कि जज की हत्या की गयी है। इसलिए इस मामले का खुलासा जल्द करने की जरूरत है, ताकि न्यायिक अधिकारियों का मनोबल बना रहे।
पिछली सुनवाई में अदालत ने जतायी थी नाराजगी..
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं था। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई की जांच दो लोगों से आगे नहीं बढ़ रही है। हर बार एक ही जवाब सीबीआई को दिया जा रहा है। अदालत ने सीबीआई के जोनल निदेशक को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया था।
क्या है मामला..
धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत 29 जुलाई को ऑटो के टक्कर से हो गयी थी। करीब साढ़े पांच बजे वह मॉर्निंग वाक कर रहे थे। इसी दौरान पीछे से एक ऑटो ने टक्कर मार दी थी। वह सड़क पर गिर पड़े और उनकी मौत हो गयी। इस घटना की रिपोर्ट धनबाद के प्रधान जिला जज ने हाईकोर्ट को भेजी। इस रिपोर्ट पर चीफ जस्टिस ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की और सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। सरकार ने घटना की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट जांच की हर सप्ताह मॉनिटरिंग कर रहा है।