पेड़ के पत्तों एवं गन्ने के छिलकों से ईंधन बनाएगी धनबाद-दिल्ली की टीम, 76 लाख का मिला फण्ड..

आईआईटी धनबाद एवं आईआईटी दिल्ली की तीन प्राध्यापकों की टीम गन्ने के छिलकों एवं पेड़ के पत्तों से ईंधन बनाने के कार्य में लगी हुई है। डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इस प्रोजेक्ट के लिए 76 लाख रुपये का फण्ड दिया है। इस आविष्कार की मदद से जहां एक तरफ सस्ता एवं स्वच्छ ईंधन मिलेगा, वहीं दूरी ओर किसानों को पराली जलाने की ज़रूरत नहीं होगी।

आईआईटी धनबाद एवं आईआईटी दिल्ली की संयुक्त टीम का मानना है कि इससे देश को सस्ता और स्वच्छ ईंधन मिलने के साथ किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा। इस टीम में आईआईटी धनबाद के प्रो. ईजाज अहमद एवं प्रो. सिद्धार्थ सेनगुप्ता और आईआईटी दिल्ली के प्रो. केके पंत शामिल हैं। प्रो. ईजाज का कहना है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, और ऐसे में इस आविष्कार से किसानों को इससे लाभ मिल सकेगा।

प्रो. ईजाज ने बताया कि जिस प्रकार पेट्रोल में एथेनॉल मिलाया जाता है, उसी प्रकार ईंधन में बायो फ्यूल का उपयोग किया जाता है। एक तो इससे ईंधन की लागत कम हो जाएगी। इसके अलावा जिस तरह पेड़-पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करते हैं, उसी तरह बायो फ्यूल भी पेड़-पौधों से ही बनता है। ऐसे में इस साइकल से ग्रीन हाउस गैस कम होता है और तापमान में बढ़ोत्तरी होती है।

प्रो. ईजाज ने जानकारी देते हुए बताया कि बायोमास से फ्यूल बनाने की प्रक्रिया में एक कैटलिस्ट का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के लिए उनके पास एक सस्ते कैटलिस्ट का प्रस्ताव है, जिससे प्रोडक्ट से अलग किया जा सकेगा और ज़रूरत पड़ने पर उसका बार बार उपयोग भी किया जा सकेगा। इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि इससे न केवल ईंधन बनाया जा सकता है बल्कि परफ़्यूम एवं प्लास्टिक जैसे दैनिक जीवन में उपयोग में लाए जाने वाले सामान भी बन सकते हैं।