आपदा फंड से खर्च हुए ₹1300 करोड़ का हिसाब देने में विभाग नाकाम, राज्य सरकार परेशान….

झारखंड सरकार वर्ष 2019 से अब तक राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से खर्च हुए ₹1300 करोड़ का हिसाब तलाश रही है. आपदा प्रबंधन विभाग ने संबंधित विभागों को पत्र भेजकर खर्च की गई राशि का पूरा विवरण जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. भारत सरकार की ओर से नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम (NDMIS) पोर्टल पर डाटा अपडेट करने की मांग की जा रही है, लेकिन कई विभागों ने अब तक अपने खर्च का ब्योरा नहीं दिया है. इससे राज्य को भविष्य में मिलने वाले फंड पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं.

मुख्य मुद्दा: खर्च का ब्योरा गायब

आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा ने कहा कि विभागों को फंड से खर्च किए गए हर पैसे का हिसाब देना जरूरी है. उन्होंने बताया कि विभागों द्वारा डाटा न देने के कारण पोर्टल अपडेट नहीं हो पा रहा है. इस कारण से केंद्र सरकार के साथ फंड की रिपोर्टिंग में समस्या आ रही है. राज्य को आगे फंड प्राप्त करने में बाधा आ सकती है, खासकर 16वें वित्त आयोग के गठन से पहले.

कहां खर्च हुए पैसे?

आपदा फंड से अलग-अलग विभागों ने विभिन्न कारणों से बड़ी रकम ली है. इसमें कोरोना महामारी और सूखा राहत जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं. खर्च की जानकारी कुछ इस प्रकार है:

• स्वास्थ्य विभाग: ₹639 करोड़ (कोरोना काल में खर्च का हिसाब अब तक नहीं दिया गया).

• कृषि विभाग: ₹581.20 करोड़ (सूखा राहत के लिए खर्च).

• जल संसाधन विभाग: ₹11.67 करोड़.

• नगर विकास विभाग: ₹132.75 करोड़.

• पेयजल एवं स्वच्छता विभाग: ₹52.21 करोड़.

• पुलिस मुख्यालय: ₹11.98 करोड़.

• अन्य विभाग: ₹1.12 करोड़.

स्वास्थ्य विभाग का अकेले ₹700 करोड़ का हिसाब बाकी है. इसमें कोरोना महामारी के दौरान जिलों को भेजी गई राशि भी शामिल है.

पांच साल से हिसाब नहीं दिया गया

2019 से अब तक किसी भी विभाग ने खर्च का सही ब्योरा नहीं दिया है. कृषि विभाग ने सूखा राहत के लिए आपदा फंड का इस्तेमाल किया, लेकिन इसका हिसाब अभी भी लंबित है. पुलिस महानिदेशालय और अन्य विभागों ने भी पैसे का उपयोग तो किया, परंतु जानकारी नहीं सौंपी.

क्या है आपदा फंड की प्रक्रिया?

आपदा प्रबंधन का फंड केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत आता है. यह फंड राज्य को प्राकृतिक आपदा, महामारी और अन्य संकटों से निपटने के लिए दिया जाता है. 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और 16वें वित्त आयोग के गठन से पहले भारत सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे NDMIS पोर्टल पर अपना डाटा अपडेट करें.

फंड न मिलने की संभावना

यदि खर्च का विवरण जल्द नहीं दिया गया तो झारखंड को भविष्य में मिलने वाले फंड में कटौती का सामना करना पड़ सकता है. केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फंड तभी दिया जाएगा जब खर्च का पूरा लेखा-जोखा ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होगा.

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