रांची में डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही हैं। जिसके इलाज में सबसे अधिक प्लेटलेट की जरूरत पड़ती है। साथ ही आकस्मिक परिस्थति में सिंगल डोनर प्लेटलेट तत्काल आवश्यकता ज्यादा पड़ती है, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। लेकिन रांची में सिंगल डोनर प्लेटलेट की कमी आ चुकी है। रिम्स में सिंगल डोनर प्लेटलेट के लिए किट नहीं है। बीते दस दिनों से यही स्थिति बनी हुई है। मरीज के स्वजन रोजाना अस्पताल से मायूस होकर वापस लौट रहे है, जिस कारण मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। ऐसी हालत में मरीज को स्वस्थ होने और चिकित्सकों को इलाज करने में बेहद परेशानी हो रही है।
सदर अस्पताल में अब तक शुरू नहीं हुई एफरेसिस मशीन..
बता दें कि सदर अस्पताल में भी एफरेसिस मशीन है। मगर चार महीना बीत जाने के बाद भी अबतक इसकी सेवा शुरू नही की गई है। सदर अस्पताल में इसकी सेवा शुरू हो जाने के बाद रिम्स से भी दबाव काफी हद तक कम होगा। जिसमें सदर अस्पताल ने कहा है कि अगले आठ से नौ दिनों में इसकी सेवा शुरू कर दी जाएगी। वहीं राज्य में डेंगू के कहर को देखते हुए सदर अस्पताल में सिंगल डोनर प्लेटलेट को शुरू करने की योजना बनाई गयी है।
उस तकनीक से जल्दि होती है रिकवरी..
दरअसल ब्लड बैंक में अब तक रेंडम तरीके से प्लेटलेट्स निकाली जाती थी। जिसमें तीन से सात हजार के बीच ही प्लेटलेट्स निकलती थी। जो की मरीज को चढ़ाने पर बहुत कम समय तक ही शरीर में रहती थी। वहीं एसडीपी तकनीक से 40 से 60 हजार प्लेटलेट्स निकलती है। जिससे मरीज की जल्द से जल्द रिकवरी होती है। बता दें कि यह डेंगू के मरीज, बच्चों के इलाज में, कैंसर जैसे रोग में इसकी आवश्यकता पड़ती है।