रांची : विश्व आदिवासी दिवस आज धूमधाम से मनाया गया। रांची शहर के विभिन्न चौक चौराहों व इलाकों से शोभा यात्रा निकाली गई। जबकि कई संगठनों ने मोटरसाईकिल जुलूस भी निकाला। इस दौरान कई आदिवासी सामाजिक धार्मिक संगठन जुलूस की शक्ल में चौराहों पर पहुंचे और झारखंड के वीर शहीदों को पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। पूरे शहर में जनजातीय समुदाय के लोग पारंपरिक वेशभूषा और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ शोभा यात्रा और जुलूस में शामिल हुए।
आदिवासी केंद्रीय परिषद ने चंदन हलधर पहान और निरंजना हेरेंज की अगुवाई में पूरे शहर में पारंपरिक वेशभूषा के साथ मोटरसाईकिल जुलूस निकाला। पूर्व में कोकर समाधि स्थल जाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इसके अलावा अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के लोग भी जुलूस की शक्ल में अलबर्ट एक्का चौक आए। सभी ने नाचते गाते हुए विश्व आदिवासी दिवस की खुशियां मनाईं। इसके अलावा हरमू स्थित देशावली में विश्व आदिवासी दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसकी अगुवाई केंद्रीय सरना समिति के नारायण उरांव ने की। इसी क्रम में कई संगठनों ने ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया। झारखंड इंडीजिनियस पीपुल्स फोरम द्वारा पेसा कानून पर सेमिनार का आयोजन किया गया। विश्व आदिवासी दिवस को लेकर पूरे दिन राजधानी रांची में कई संगठनों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये गए, साथ ही आदिवासियों के अधिकार, संस्कृति-परंपरा सहित अन्य मुद्दों पर मंथन किया गया।
दूसरी तरफ कुछ जगहों पर आदिवासी संगठनों ने बैनर-पोस्टर लेकर सरकार से अपनी मांगें भी रखीं। सरना को अलग धर्म कोड देने की मांग हो या फिर लोहरा और चिक बड़ाइक समाज को जनजाति के रूप में मान्यता देने की बात। कई आदिवासी संगठन धर्मांतरण को भी बड़ा मुद्दा बनाते रहे हैं। उनका पक्ष है कि वे सरना धर्म कोड को मानते हैं। ऐसे में वे खुद को न तो हिन्दू कहलाना चाहते हैं और न ही इसाई या फिर कोई और धर्म। उनका कहना है कि उनके पूर्वज शुरू से प्रकृति की पूजा करते आए हैं और यही उनका धर्म है। केंद्र सरकार को सरना को अलग अलग धर्मकोड की मान्यता देनी चाहिए। इसके लिए वे लोग कई वर्षों से आंदोलनरत हैं और आगे भी अपनी मांगों को सरकार के सामने रखते रहेंगे।