झारखंड में सीजीएल (संयुक्त स्नातक स्तर) परीक्षा के पेपर लीक होने की शिकायतें मिलने के बाद, राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस मामले की गहन जांच कराने की मांग की है. इससे पहले, कई छात्र संगठनों और छात्रों ने राज्यपाल को इस मुद्दे पर ध्यान दिलाते हुए एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें उन्होंने पेपर लीक होने की शिकायत की थी. इस मामले को लेकर छात्रों में गहरी नाराजगी है, और वे निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.
राज्यपाल की चिंता और पत्र का संदर्भ
राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित सीजीएल परीक्षा में अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की कि वे इन शिकायतों की पूरी गंभीरता से जांच करवाएं ताकि परीक्षा और आयोग की विश्वसनीयता पर कोई सवाल न उठे. राज्यपाल ने यह भी कहा कि परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, जिससे छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके.
राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी
राज्यपाल गंगवार ने अपने पत्र में छात्रों और संगठनों द्वारा दी गई जानकारी और प्राप्त तथ्यों को भी शामिल किया है, जो उन्होंने परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में पेश किए थे. इसके साथ ही, राज्यपाल ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष से भी परीक्षा से जुड़े तथ्यों को सामने लाने और स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है. इस कदम का उद्देश्य यह है कि परीक्षा प्रक्रिया पर छात्रों का भरोसा कायम रहे और किसी प्रकार की अनियमितता के आरोपों की सच्चाई सामने आए.
छात्रों द्वारा लगाए गए आरोप
छात्र संगठनों और अभ्यर्थियों का आरोप है कि 21 और 22 सितंबर को आयोजित सीजीएल परीक्षा में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं. 22 सितंबर को प्रथम पाली की परीक्षा शुरू होने से पहले ही कई छात्रों के पास प्रश्नों के उत्तर मौजूद थे. परीक्षा खत्म होने के बाद यह बात साबित भी हुई, जब पाया गया कि परीक्षा के दौरान जीएस (सामान्य अध्ययन) के प्रश्नों को पहले से लीक किया गया था. गणित, रीजनिंग और कंप्यूटर के सवाल लगभग पूर्व परीक्षाओं के सवालों की नकल थे. खासकर 2022 की परीक्षा के 20 प्रश्न बिना किसी बदलाव के पूछे गए थे. इसके अलावा, छात्रों का आरोप है कि रीजनिंग के प्रश्न 2019 की एसएससी सीजीएल परीक्षा से लिए गए थे, जबकि कंप्यूटर के सवाल 2023 की जेबीएपीएस आरआरसी परीक्षा से थे. इतना ही नहीं, यूपीएससी सी सेट 2019 के 120 सवाल भी बिना बदलाव के पूछे गए थे. छात्रों का कहना है कि कुछ परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र के पैकेट पहले से खुले हुए मिले, जो परीक्षा की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. इस आधार पर, छात्रों ने परीक्षा रद्द करने और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है.
जेएसएससी अध्यक्ष की प्रतिक्रिया
इन आरोपों के बाद, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) के अध्यक्ष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर छात्रों को चुनौती दी कि यदि वे पेपर लीक का कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत कर सकते हैं, तो परीक्षा रद्द कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस परीक्षा में कुल 6,39,900 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें से 3,04,769 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए. परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से कदाचारमुक्त और शांतिपूर्वक संपन्न हुई थी. अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि अभ्यर्थियों के सामने ही प्रश्न पत्र खोले गए थे, और अगर कुछ जगहों पर पैकेटों की सील खुली मिली, तो यह सामान्य हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पेपर लीक हुआ था. उन्होंने यह भी बताया कि इस परीक्षा के लिए 20 लाख उत्तरपुस्तिकाएं छपवाई गई थीं, और इतने बड़े पैमाने पर होने वाली परीक्षा में कुछ त्रुटियां हो सकती हैं, लेकिन पेपर लीक का आरोप निराधार है.
मामले की हाईकोर्ट में पहुंच
इस बीच, सीजीएल परीक्षा के पेपर लीक की जांच कराने की मांग अब हाईकोर्ट तक पहुंच गई है. छात्रों ने न्यायालय से अपील की है कि सीबीआई जांच के माध्यम से इस मामले की सच्चाई सामने लाई जाए. छात्रों का यह भी कहना है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक परीक्षा परिणामों को रोक देना चाहिए.