दिल्ली पुलिस ने रांची से अलकायदा के चार संदिग्ध आतंकियों को लाया वापस, चान्हो में ट्रेनिंग कैंप का खुलासा….

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हाल ही में अलकायदा इंडिया सब-कंटिनेंट (AQIS) के चार संदिग्ध आतंकियों को रांची से दिल्ली वापस लाया है. इनमें इनामुल अंसारी, मोतिउर्र रहमान, शहबाज अंसारी और अल्ताफ अंसारी शामिल हैं. ये आतंकी दिल्ली पुलिस की जांच के दौरान विभिन्न आरोपों में शामिल पाए गए थे और उन्हें रांची के चान्हो इलाके के नकटा जंगल से गिरफ्तार किया गया था.

संदिग्ध आतंकियों द्वारा नकटा जंगल में ट्रेनिंग कैंप की वीडियोग्राफी की गई

स्पेशल सेल ने चान्हो के नकटा जंगल में इन आतंकियों के प्रस्तावित ट्रेनिंग कैंप की वीडियोग्राफी भी की है. नकटा जंगल एक सुनसान क्षेत्र है, जो पहाड़ों से घिरा हुआ है, और यही कारण है कि आतंकियों ने इस जगह को अपनी ट्रेनिंग के लिए चुना. डॉ. इश्तियाक के नेतृत्व में आतंकियों को यहां आत्मघाती हमलों और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना था. इस क्षेत्र की विशेषता यह थी कि शस्त्र चालन और लक्ष्याभ्यास के दौरान उठने वाली आवाजें दूर तक नहीं जाती थीं, जिससे आतंकियों को छिपने में मदद मिलती थी.

आतंकी संगठन AQIS की व्यापक योजना का खुलासा

अलकायदा के आतंकियों ने दिल्ली पुलिस की पूछताछ में स्वीकार किया कि उनकी योजना पूरे राज्य में आतंकवाद का एक मजबूत नेटवर्क तैयार करने की थी. वे AQIS का राज्यभर में विस्तार करने की योजना बना रहे थे. इस दिशा में, डॉ. इश्तियाक प्रमुख भूमिका निभा रहा था. वह विभिन्न स्थानों पर खुले क्लिनिकों के माध्यम से युवाओं को अपने संगठन में जोड़ने की कोशिश कर रहा था. जो लोग उसकी टीम में शामिल हो जाते थे, उन्हें राजस्थान में स्थित उसके प्रशिक्षण केंद्र में भी भेजा जाता था.

डॉ. इश्तियाक के प्रयास और आतंकियों की गतिविधियां

डॉ. इश्तियाक, जो कि एक रेडियोलोजिस्ट है, अपनी टीम के लिए एक फिदायीन दस्ता तैयार करना चाहता था. उसकी योजना थी कि नकटा पहाड़ पर आतंकियों को आत्मघाती हमलों और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाए. इस तरह के प्रशिक्षण से आतंकियों को खुद को छुपाने और अधिक प्रभावी तरीके से हमले करने में मदद मिलती.

दस्तावेजों की जांच और आगामी पूछताछ

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने संदिग्ध आतंकियों के पास से मिले अरबी में लिखे दस्तावेजों की भी जांच शुरू कर दी है. इन दस्तावेजों से आतंकियों की योजना और उनके संपर्कों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. झारखंड पुलिस की आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) भी जल्द ही दिल्ली में इन आतंकियों से पूछताछ करेगी. इसका उद्देश्य यह जानना है कि आतंकियों की झारखंड में क्या योजनाएं थीं और वे किस प्रकार की गतिविधियों को अंजाम देने वाले थे. एटीएस को इससे राज्य में अपनी जांच को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी.

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