शुक्रवार को झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। इस ज्ञापन में पूर्व की सरकार में लंबित मांगों के साथ कुछ नयी मांगों को भी रखा गया है। इन मांगों के संदर्भ में संघ के अध्यक्ष राम कुमार सिन्हा ने कहा कि संघ द्वारा हर बार उचित मांगों को लेकर समय-समय पर सरकारों को अवगत कराया जाता रहा है।
इससे पहले की सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ एक वार्ता हुई थी जिसके बाद मिले आश्वासन पर संघ ने आंदोलन को स्थगित किया गया था। उनके निर्देश के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव, कार्मिक प्रशासनिक सुधार व राजभाषा विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं गृह कार्य एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव के साथ एक बैठक हुई थी और एक लिखित समझौता हुआ था। उस समझौते में 15 मांगों को मानने पर सहमति बनी थी। लेकिन उन 15 मांगों में से आज तक सिर्फ तीन मांगों पर ही कार्रवाई की गयी है। अब प्रशासनिक सेवा संघ का एक प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि इन लंबित शेष मांगों के अलावा वर्तमान परिस्थिति में दो अन्य मांगों पर भी निर्णय लेने की आवश्यकता है.
प्रशासनिक सेवा संघ की कुछ प्रमुख मांगों में ये मांगे शामिल हैं जैसे कि –
बिहार के तर्ज पर झारखंड प्रशासनिक सेवा को प्रीमियर सेवा घोषित करना।
सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए गठित फिटमेंट कमिटी की बातों को लागू करना, जो अपर सचिव स्तर और विशेष सचिव स्तर के अधिकारियों के वेतन बढ़ोतरी से संबंधित है।
3 माह से अधिक समय से निलंबित पदाधिकारियों को निलंबित मुक्त करना।
प्रखंड अंचल के पदाधिकारियों एवं कर्मियों को सुरक्षित माहौल में कार्य करने के लिए पर्याप्त संख्या में अंचल गार्ड की प्रतिनियुक्ति करना।
समय पर प्रोन्नति देने के लिए कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग के आलोक में कार्यवाही करना।
स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था करना।
रिवेन्यू अथॉरिटी प्रोटेक्शन एक्ट को अधिसूचित करना।
केंद्र के अनुरूप चाइल्ड केयर लीव का प्रवाधान करना।
झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ के कार्यालय सह सभागार के लिए टोकन राशि पर 3 एकड़ भूमि उपलब्ध कराना।
केंद्र के तर्ज पर LTC की व्यवस्था करना।
झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ के कई पदाधिकारी विभिन्न विभागों के अंतर्गत लंबी अवधि तक स्थापना की प्रतीक्षा में रहते हैं। जबकि उनका कोई दोष नहीं होता है। इससे उनकी सेवा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे में पदस्थापना के प्रतीक्षा करने वाले पदाधिकारियों की तत्काल पद स्थापना की जाये। पदस्थापना की प्रतीक्षा अवधि में उन्हें कोई कार्य नहीं दिया जाता है, ना ही उनके बैठने का कोई निश्चित स्थान रहता है. उसके बावजूद उन्हें दिन में दो बार अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है। इस अवधि में उन्हें वेतन नहीं मिलता है ऐसी स्थिति में जरूरी है कि इस अवधि में उन्हें उपस्थिति दर्ज करने से मुक्त करते हुए उक्त अवधि के वेतन भुगतान की भी व्यवस्था की जाये।
मौके पर प्रतिनिधिमंडल में महासचिव यतींद्र प्रसाद, उपाध्यक्ष अरविंद कुमार मिश्र. संयुक्त सचिव पूनम प्रभा पूर्ति व मनोहर मरांडी सहित कई सदस्य उपस्थित थे।