साइकिल वितरण योजना में देरी, फिटिंग के बावजूद नहीं बंट सकीं 4,221 साइकिलें….

झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी साइकिल वितरण योजना, जिसका उद्देश्य राज्य के छात्रों को साइकिल प्रदान करना है, उसमें देरी हो रही है. इस देरी का मुख्य कारण अधिकारियों की व्यस्तता और समय पर फिटिंग न होने की वजह से साइकिलों का वितरण नहीं हो सका. इस योजना के तहत, अब तक 17,241 साइकिलें वितरित की जानी थीं, लेकिन केवल 15,988 साइकिलें ही उपलब्ध कराई गईं हैं. इसमें से 4,221 साइकिलें अभी भी वितरण के लिए तैयार नहीं हो पाई हैं.

मंडियों में “मंईयां सम्मान योजना” का असर

विभिन्न जिलों में साइकिल वितरण की प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा नहीं किया जा सका, क्योंकि अधिकारी “मंईयां सम्मान योजना” में व्यस्त थे. इस योजना के तहत राज्य भर में महिलाओं को सम्मानित करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इसी वजह से, अधिकारी साइकिलों की फिटिंग और वितरण के कार्य में समय नहीं दे पाए. साइकिल वितरण की योजना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्राथमिकताओं में शामिल है, और इसका उद्देश्य छात्राओं को स्कूल जाने में सुविधा प्रदान करना है. लेकिन योजना के क्रियान्वयन में देरी हो रही है, जो कि सरकार के लिए एक चुनौती बनती जा रही है.

फिटिंग के बावजूद वितरण में देरी

हालांकि, कुछ जिलों में साइकिलों की फिटिंग पूरी कर ली गई थी, लेकिन फिर भी उन्हें वितरण के लिए तैयार नहीं किया जा सका. जमशेदपुर प्रखंड में 8,004 साइकिलें फिटिंग के बाद भी वितरण के लिए तैयार नहीं हो पाई हैं. वहीं, पूरे राज्य में कुल 4,221 साइकिलें ऐसी हैं, जो फिटिंग के बावजूद अब तक बंटी नहीं गई हैं. इस देरी का असर सबसे ज्यादा बहारागोड़ा जिले में देखा गया, जहां 979 साइकिलें अब तक नहीं बंटी हैं. बहारागोड़ा के अलावा, अन्य जिलों में भी साइकिल वितरण की प्रक्रिया धीमी रही है. उदाहरण के लिए, चाकुलिया और डुमरिया में भी वितरण में देरी हो रही है.

साइकिल की कम आपूर्ति

वर्तमान समय में साइकिल की आपूर्ति में भी कमी देखी जा रही है. जमशेदपुर जिले में अब तक 15,988 साइकिलें ही पहुंचाई गई हैं, जबकि कुल 17,241 साइकिलों की आवश्यकता थी. इस आपूर्ति में कमी के कारण कई जिलों में साइकिलें अब तक नहीं पहुंच पाई हैं, जिससे छात्रों को नुकसान हो रहा है. इस कमी का मुख्य कारण राज्य के बाहर से साइकिलों की आपूर्ति में देरी है. कई जिलों में साइकिलें पहुंचने के बावजूद, उन्हें समय पर फिटिंग और वितरण के लिए तैयार नहीं किया जा सका. इससे योजना के क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न हो रही है.

देर से साइकिल वितरण का असर

इस देरी का सबसे बड़ा असर उन छात्रों पर पड़ रहा है, जो इन साइकिलों के सहारे स्कूल पहुंचते हैं. साइकिलें समय पर न मिलने से छात्राओं को अपने घर से स्कूल जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इससे उनके शिक्षा के प्रति समर्पण पर भी असर पड़ सकता है. इसके अलावा, साइकिलों के वितरण में देरी से सरकार की योजनाओं पर सवाल उठने लगे हैं. जनता में इस बात की चिंता है कि सरकार की योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है, जिससे योजनाओं की सफलता पर संदेह उत्पन्न हो रहा है.

आगे की चुनौतियाँ

झारखंड सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह इस योजना को जल्द से जल्द क्रियान्वित करे. इसके लिए आवश्यक है कि अधिकारियों की व्यस्तता कम की जाए और साइकिलों की फिटिंग और वितरण के कार्य में तेजी लाई जाए. इसके साथ ही, राज्य के बाहर से साइकिलों की आपूर्ति में होने वाली देरी को भी कम करना होगा. इसके लिए सरकार को आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर एक सख्त योजना बनानी होगी, ताकि साइकिलें समय पर पहुंचाई जा सकें और वितरण की प्रक्रिया में कोई और देरी न हो.

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