झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं. अब सभी की नजर इस बात पर है कि झारखंड का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा. चुनाव आयोग के अनुसार, झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा, जिसके बाद 23 नवंबर को मतगणना होगी. उसी दिन यह तय हो जाएगा कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.
चुनाव आयोग का ऐलान
चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा की. उन्होंने बताया कि झारखंड में 13 और 20 नवंबर को वोटिंग होगी. राज्य की सभी 81 विधानसभा सीटों पर मतदान के बाद 23 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी. इसी दिन यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस पार्टी या गठबंधन के नेतृत्व में अगली सरकार बनेगी और झारखंड का 14वां मुख्यमंत्री कौन होगा.
2019 के चुनाव: झामुमो सबसे बड़ी पार्टी
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव झारखंड की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए. पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई. इस चुनाव में झामुमो ने 30 सीटें जीती थीं, जो उसके लिए अब तक की सबसे बड़ी सफलता थी. इसके बाद झामुमो, कांग्रेस, और राजद ने मिलकर बहुमत की सरकार बनाई थी. यह राज्य के राजनीतिक इतिहास में दूसरा मौका था जब किसी पार्टी या गठबंधन ने बहुमत से सरकार बनाई थी.
भाजपा की 25 सीटों पर सिमट गई सफलता
2019 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो उस समय सत्ता में थी, को बड़ा झटका लगा था. पार्टी केवल 25 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई, जो उसकी पिछली सफलता के मुकाबले काफी कम थी. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी को 2 सीटें मिलीं, जबकि झामुमो की सहयोगी पार्टियों में कांग्रेस ने 16 और राजद ने 1 सीट जीती थी.
अन्य पार्टियों का प्रदर्शन
2019 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही थी। इस चुनाव में अन्य छोटी पार्टियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. भाकपा माले, एनसीपी और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को कुछ सीटें मिली थीं, जबकि 2 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की थी.
2014 के चुनाव: भाजपा का दबदबा
अगर 2014 के विधानसभा चुनावों की बात करें, तो उस समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड में सबसे अधिक 35 सीटें जीती थीं. भाजपा की इस बड़ी सफलता के बाद रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) 17 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी. उस चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) ने 8, कांग्रेस ने 6, आजसू ने 5 और बसपा ने 1 सीट जीती थी.
2009 के चुनाव: भाजपा-झामुमो की बराबरी
2009 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और झामुमो दोनों ने 18-18 सीटें जीती थीं. हालांकि, कोई भी पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी, जिससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी रही. कांग्रेस ने उस चुनाव में 14 सीटें जीती थीं, जबकि झाविमो को 11 सीटें मिली थीं. आजसू को 5, राजद को 5, और अन्य छोटी पार्टियों को भी कुछ सीटें हासिल हुई थीं. इस चुनाव में 2 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में सफल रहे थे.
2005 के चुनाव: भाजपा का उदय
झारखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव 2005 में हुए थे. उस समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसने 30 सीटें जीती थीं. झामुमो 17 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस को 9, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 6 और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 7 सीटें मिली थीं.
चुनाव का महत्व
झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव सिर्फ यह तय नहीं करेंगे कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, बल्कि यह चुनाव राज्य की राजनीति की दिशा और दशा भी तय करेंगे. पिछले कुछ वर्षों में झारखंड की राजनीतिक स्थिति काफी अस्थिर रही है, और इस चुनाव के परिणाम से राज्य में नई सरकार का गठन होगा. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि झारखंड में इस बार का चुनाव कई मायनों में अहम है. पहली बात तो यह है कि राज्य की वर्तमान सरकार, जो झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की है, अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है. दूसरी ओर, भाजपा इस बार की चुनावी जंग में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. 2019 के चुनाव में पार्टी ने सत्ता गंवाई थी, और अब वह हर हाल में सत्ता में वापसी चाहती है.
आने वाला समय
आगामी चुनावों में क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात निश्चित है कि झारखंड की राजनीति में आने वाले कुछ महीने बेहद रोमांचक होंगे. सभी प्रमुख पार्टियां अपने उम्मीदवारों के नामांकन और प्रचार के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हैं. जनता के मुद्दों और चुनावी वादों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी या गठबंधन जनता का विश्वास जीतकर झारखंड की सत्ता पर काबिज होगा.