झारखंड के साहिबगंज जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मुर्दों के नाम पर सरकारी राशन का उठाव हो रहा था. जिला प्रशासन को जब इस गड़बड़ी की भनक लगी तो उन्होंने इसकी जांच शुरू की. जांच के दौरान यह पता चला कि 4822 ऐसे लोगों के नाम पर जन वितरण प्रणाली (PDS) दुकानों से चावल और गेहूं लिया जा रहा था, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. इनमें से अधिकतर लोग मर चुके हैं, जबकि कुछ लोग पलायन कर चुके हैं. इस खुलासे के बाद प्रशासन ने तुरंत ऐसे सभी लोगों का नाम राशन कार्ड से हटा दिया है. यह कार्रवाई पिछले दो महीनों (दिसंबर और जनवरी) के दौरान की गई है और यह अभियान अभी भी जारी है. संभावना है कि आगे चलकर यह संख्या और बढ़ सकती है.
राशन कार्ड में अब नए नाम जोड़ सकेंगे लाभार्थी
इन 4822 फर्जी नामों को हटाने के बाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत बनाए गए राशन कार्डों में रिक्तियां पैदा हो गई हैं. इससे उन लोगों को लाभ मिलेगा, जो अपने स्वजनों के नाम राशन कार्ड में जोड़ना चाहते थे. कई लोगों ने अपनी शादी के बाद पत्नी का नाम जोड़ने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन रिक्ति न होने के कारण उनके नाम अब तक नहीं जुड़ पाए थे. इसी तरह, कई राशन कार्ड धारकों के बच्चों के नाम भी इसी समस्या के कारण राशन कार्ड में शामिल नहीं हो सके थे. अब, जब मृतकों और प्रवास कर चुके लोगों के नाम हटा दिए गए हैं, तो जरूरतमंद लोगों को इसमें जोड़ने का रास्ता साफ हो गया है.
राशन कार्ड में मृतकों के नाम कैसे जुड़े रहे?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि मृत लोगों के नाम पर सालों तक राशन का उठाव कैसे होता रहा? दरअसल, परिवार के मुखिया की यह जिम्मेदारी होती है कि अगर किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो वह इसकी सूचना अपने जन वितरण प्रणाली (PDS) दुकानदार को दे. लेकिन ज्यादातर मामलों में लोग ऐसा नहीं करते हैं. परिवार वाले मृत सदस्य के नाम पर राशन उठाते रहते हैं, जिससे सरकारी अनाज की बड़ी मात्रा गलत हाथों में चली जाती है. अब प्रशासन इस मुद्दे को सख्ती से ले रहा है. अगर किसी मृत व्यक्ति के नाम पर राशन उठाया जाता है, तो संबंधित परिवार के खिलाफ आपूर्ति विभाग (Supply Department) प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर सकता है. इसके अलावा, सरकार उठाए गए अनाज की बाजार कीमत के बराबर राशि वसूलने का भी प्रावधान कर रही है.
डीलरों के माध्यम से हुई पहचान, अब तक 4822 नाम हटाए गए
सरकार ने अब इस गड़बड़ी को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. PDS दुकानदारों के माध्यम से उन सभी लोगों का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है, जो या तो मर चुके हैं या प्रवास कर चुके हैं. इसी प्रक्रिया में पिछले दो महीनों के दौरान 4822 ऐसे नामों की पहचान हुई और उन्हें राशन कार्ड से हटा दिया गया. यह अभियान अभी भी जारी है, और संभावना है कि अगले कुछ महीनों में और भी हजारों फर्जी नाम हटाए जा सकते हैं. प्रशासन ने सभी लाभार्थियों से अपील की है कि अगर उनके परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो गई है, तो वे इसकी सूचना तुरंत अपने राशन डीलर को दें, ताकि उनका नाम हटा दिया जाए और जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके.
ग्रीन राशन कार्डधारकों को भी मिलेगा फायदा
राशन कार्ड से मृतकों के नाम हटाने का असर ग्रीन राशन कार्डधारकों पर भी पड़ेगा. पहले, जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत किसी कार्ड से नाम हटाया जाता था, तो ग्रीन कार्डधारकों का नाम ऑटोमेटिकली जोड़ दिया जाता था. लेकिन अब यह प्रक्रिया बदल गई है. अब, NFSA के तहत हटाए गए नामों की जगह उसी श्रेणी के प्रतीक्षा सूची में मौजूद लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा. वर्तमान में जिले में 9,51,274 लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन मिल रहा है, लेकिन 4822 नाम हटने के बाद अब 9,46,452 लोगों को ही इसका लाभ मिल रहा है. इसका फायदा उन ग्रीन राशन कार्डधारकों को भी मिलेगा, जिन्होंने लंबे समय से अपने आवेदन जमा कर रखे हैं. झारखंड सरकार वर्तमान में 20 लाख ग्रीन राशन कार्डधारकों को खाद्यान्न उपलब्ध करा रही थी, लेकिन अब इस संख्या को बढ़ाकर 25 लाख किया गया है. साहिबगंज जिले में करीब 1100 लोगों ने पहले से ग्रीन राशन कार्ड के लिए आवेदन कर रखा है, जिन्हें अब जल्द ही इसका लाभ मिल सकता है.
क्या करें अगर परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए?
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार के मुखिया को तुरंत इसकी सूचना जन वितरण प्रणाली (PDS) दुकानदार को देनी होगी. ऐसा न करने पर संबंधित परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा, अगर परिवार का कोई सदस्य दूसरे राज्य में स्थायी रूप से प्रवास कर जाता है, तो उसका नाम भी राशन कार्ड से हटाने की प्रक्रिया अपनानी होगी. सरकार अब इस पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने की योजना पर काम कर रही है.