झारखंड में किसानों के लिए एक रुपये में फसल बीमा योजना की शुरुआत….

झारखंड के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. राज्य सरकार ने खरीफ फसलों के लिए एक नई फसल बीमा योजना की घोषणा की है, जिसके तहत अब किसान मात्र एक रुपये में फसल का बीमा करवा सकते हैं. इस योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा जिनके पास पांच एकड़ तक की जमीन है. इससे पहले किसानों को इस योजना के तहत फसल बीमा के लिए 1200 रुपये का प्रीमियम देना पड़ता था, लेकिन अब राज्य सरकार ने इसे घटाकर एक रुपये कर दिया है. यह योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत लागू की गई है और इसका उद्देश्य राज्य के छोटे और सीमांत किसानों को राहत प्रदान करना है.

योजना का उद्देश्य और लाभ

झारखंड सरकार की इस नई पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल क्षति से होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाना है. किसानों को अक्सर प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, सूखा, और तूफानों के कारण फसल का नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में यह बीमा योजना उनके लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच का काम करेगी. यह योजना खरीफ फसलों के लिए लागू की गई है, और यह सुनिश्चित करेगी कि किसान आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें. इस योजना के तहत किसानों को केवल एक रुपये का भुगतान करना होगा, जिसके बाद उनकी फसल का बीमा हो जाएगा. बीमा की यह राशि बेहद मामूली है, जिससे यह योजना सभी किसानों के लिए सुलभ हो गई है. इससे पहले, किसानों को 1200 रुपये का प्रीमियम देना पड़ता था, जो कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक बड़ी आर्थिक बोझ साबित हो रही थी. इस योजना से लगभग 30 लाख किसानों को लाभ होने की संभावना है.

पंजीकरण और कवरेज प्रक्रिया

इस योजना में पंजीकरण कराने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2024 तय की गई है. हालांकि, राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि जो किसान इस तिथि तक पंजीकरण नहीं करा पाएंगे, उनके लिए समय सीमा बढ़ाई जा सकती है. बीमा कवरेज प्रीमियम भुगतान के 15 दिनों के भीतर शुरू हो जाएगा, जिससे किसानों को समय पर सुरक्षा मिलेगी. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें फसल क्षति के 30 प्रतिशत से अधिक होने पर ही बीमा का लाभ मिलेगा. इससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल गंभीर नुकसान की स्थिति में ही किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

बटाईदार किसानों के लिए भी राहत

इस योजना की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें बटाईदार किसानों को भी शामिल किया गया है. बटाईदार वे किसान होते हैं, जो दूसरों की जमीन पर खेती करते हैं। इस योजना के तहत, वे भी फसल बीमा का लाभ उठा सकते हैं, जिससे उन्हें भी प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान से सुरक्षा मिलेगी. यह सुनिश्चित करेगा कि फसल बीमा योजना का लाभ उन किसानों तक भी पहुंचे, जो भूमि के स्वामी नहीं हैं, लेकिन कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

बीज वितरण में सुधार की जरूरत

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने इस योजना की घोषणा के दौरान एक और महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में बीज वितरण की स्थिति ठीक नहीं है. केवल 10 प्रतिशत किसानों तक ही बीज पहुंच पा रहा है, जो कि एक बड़ी चिंता का विषय है. मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है और इसे सुधारने के लिए प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि बीज वितरण की प्रक्रिया में सुधार किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक किसानों तक बीज पहुंच सके और फसल उत्पादन में सुधार हो सके.

आगे की चुनौतियां और सरकार की प्रतिबद्धता

हालांकि यह योजना किसानों के लिए एक बहुत ही सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं. सबसे पहले, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बीमा प्रक्रिया सरल और सभी पात्र किसानों के लिए सुलभ हो. इसके अलावा, किसानों को इस योजना के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता होगी, ताकि वे समय पर पंजीकरण करा सकें और इसका लाभ उठा सकें. सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि बीमा के दावे के निपटान में कोई देरी न हो. किसानों को समय पर मुआवजा मिलना आवश्यक है, ताकि वे अगले सत्र के लिए तैयार हो सकें. इसके लिए एक मजबूत और प्रभावी प्रशासनिक तंत्र की आवश्यकता होगी, जो कि सभी स्तरों पर इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी कर सके.

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