झारखंड में शराब की आपूर्ति पर संकट: 450 करोड़ रुपये का बकाया….

झारखंड में शराब की आपूर्ति वर्तमान में बाधित है, जिसका मुख्य कारण शराब कंपनियों का भुगतान लंबित होना है. वर्तमान में राज्य के खुदरा दुकानों में केवल पुराने स्टॉक की बिक्री हो रही है, जबकि नई आपूर्ति पूरी तरह से ठप है.

झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) द्वारा शराब की आपूर्ति के लिए कंपनियों को भुगतान किया जाता है. यह भुगतान केवल अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर से किया जा सकता है. लेकिन 31 दिसंबर को पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अमित प्रकाश की सेवानिवृत्ति के बाद से यह पद खाली पड़ा है. करीब 22 दिनों से यह स्थिति बनी हुई है और जब तक जेएसबीसीएल के नए अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक की नियुक्ति नहीं होती, तब तक शराब कंपनियों को भुगतान नहीं हो सकेगा.

कंपनियों का 450 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया

जेएसबीसीएल पर शराब कंपनियों का 450 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान लंबित है. यही वजह है कि इन कंपनियों ने शराब की आपूर्ति को पूरी तरह से रोक दिया है. इस स्थिति के कारण राज्य की शराब दुकानों में धीरे-धीरे स्टॉक खत्म हो सकता है.

जेएसबीसीएल के अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी

जेएसबीसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के पद के खाली होने के कारण शराब कंपनियों का भुगतान अटका हुआ है. यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक नए अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक की नियुक्ति नहीं हो जाती. एमडी को ही भुगतान करने की शक्तियां प्राप्त होती हैं. यदि यह नियुक्ति शीघ्र नहीं हुई, तो राज्य में शराब का स्टॉक पूरी तरह से समाप्त हो सकता है.

खुदरा दुकानों का ऑडिट कार्य पूरा

राज्य के खुदरा शराब दुकानों का ऑडिट कार्य पूरा कर लिया गया है. विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद के निर्देशानुसार, पूरे राज्य में खुदरा शराब दुकानों के स्टॉक का ऑडिट किया गया. इस प्रक्रिया से यह पता चल सकेगा कि किस दुकान में कितना स्टॉक है और बिक्री के एवज में प्लेसमेंट एजेंसी ने कितना पैसा जमा किया. यह भी जांचा जा रहा है कि जमा रकम और बिक्री के आंकड़ों में कितना अंतर है और इस अंतर की भरपाई कैसे की जाएगी.

राजस्व पर पड़ सकता है असर

यदि शराब कंपनियों को जल्द भुगतान नहीं किया गया तो इसका सीधा असर राज्य के राजस्व पर पड़ेगा. राज्य में प्रतिदिन लगभग 10 से 12 करोड़ रुपये की शराब बिकती है. हालांकि, वर्तमान में पुराने स्टॉक के कारण बिक्री पर बहुत अधिक असर नहीं पड़ा है. लेकिन यदि भुगतान प्रक्रिया में देरी जारी रही तो नई आपूर्ति न होने के कारण बिक्री बाधित हो सकती है.

राजस्व हानि की आशंका

शराब की बिक्री से राज्य सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. यदि समस्या का समाधान शीघ्र नहीं किया गया, तो यह राजस्व संग्रहण पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.

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