झारखंड का एक गांव ऐसा जहां ऑनलाइन नहीं बल्कि ग्रामीण टेक्नोलॉजी से होती है बच्चों की पढ़ाई..

कौन कहता है रोशनी सिर्फ चिरागों से ही होती है, घर तो शिक्षा से रोशन होते हैं… कोरोना काल में जब शिक्षण व्यवस्था ऑनलाइन पढ़ाई पर टिकी हुई है ऐसे में जरमुंडी के आदिवासी बहुल डुमरथर गांव का उत्क्रमित मध्य विद्यालय मिसाल बनकर उभरा है। वर्तमान में ये पूरा गांव कक्षा बन गया है और हर घर की दीवार ब्लैकबोर्ड। यहां कोरोना संक्रमण के बीच नियमित कक्षाएं चलती हैं। स्कूल के 290 छात्र-छात्राएं बकायदा सोशल डिस्टेंसिंग और हाईजीन का ख्याल रखते हुए पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं लाउडस्पीकर लेकर शिक्षक बच्चों के सवालों का समाधान बताते हैं।

कोरोना के खतरे और बच्चों को संक्रमण मुक्त रखने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई का ख्याल रखते हुए ये अनोखा प्रयास किया है स्कूल के प्रधानाध्यापक डॉ. सपन पत्रलेख ने|वहीं इस कार्य में उनका साथ दे रहे हैं शिक्षक अजय मंडल, सुकलाल मुर्मू और अनुज मंडल।

गांव में अलग-अलग टोले में 50-50 बच्चों की बैठने की व्यवस्था की गई है। ये सभी बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए दूरी बनाकर बैठते हैं|हर बच्चे के हाथ में चॉक-डस्टर रहता है। शिक्षक घूम-घूम कर लाउडस्पीकर के जरिए क्लास लेते हैं। चारों शिक्षकों का भी अपना-अपना ब्लैक बोर्ड और चॉक-डस्टर है। बच्चे जो भी सवाल पूछना चाहते हैं, शिक्षक अपने ब्लैक बोर्ड में लिख कर जवाब दे देते हैं।

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