झारखंड में कुओं का निर्माण धीमी गति से हो रहा है. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान कुल एक लाख कुओं के निर्माण का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक मात्र 2626 कुएं ही बन पाए हैं. वहीं, 91,603 कुओं का निर्माण कार्य अभी जारी है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा बढ़ाना था, लेकिन कार्य की धीमी प्रगति से इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
कुओं का निर्माण: सरकार की योजना और वास्तविकता
झारखंड सरकार ने ‘झारखंड बिरसा सिंचाई कूप संवर्द्धन मिशन योजना’ के तहत हर वित्तीय वर्ष में 50,000 कुएं बनाने का लक्ष्य तय किया था. परंतु 2024-25 के समाप्त होने में अब मात्र ढाई महीने बचे हैं, और अब तक लक्ष्य से काफी पीछे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 91 हजार से अधिक कुओं का निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है, और शेष कुओं के निर्माण की शुरुआत तक नहीं हुई है.
सरकार ने जताई नाराजगी
ग्रामीण विकास विभाग ने कुओं के निर्माण में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की है. विभाग ने कहा कि जिन कुओं का कार्य शुरू हो चुका है, उन्हें वित्तीय वर्ष के बचे समय में हर हाल में पूरा किया जाए. विभाग ने स्पष्ट किया कि योजना का उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब समय पर काम पूरा होगा.
जिलों में निर्माण की स्थिति
झारखंड के अलग-अलग जिलों में कुओं के निर्माण की स्थिति चिंताजनक है.
• सरायकेला: लक्ष्य 3096, पूरे हुए 4.
• लोहरदगा: लक्ष्य 1609, पूरे हुए 15.
• सिमडेगा: लक्ष्य 2362, पूरे हुए 17.
• खूंटी: लक्ष्य 2097, पूरे हुए 18.
• जामताड़ा: लक्ष्य 2877, पूरे हुए 21.
• हजारीबाग: लक्ष्य 6023, पूरे हुए 27.
कुछ जिलों में बेहतर प्रगति भी देखी गई है.
• देवघर: लक्ष्य 5129, पूरे हुए 405.
• गढ़वा: लक्ष्य 5058, पूरे हुए 323.
• पश्चिमी सिंहभूम: लक्ष्य 5217, पूरे हुए 269.
• पाकुड़: लक्ष्य 3320, पूरे हुए 218.
हालांकि, अधिकांश जिलों में प्रगति बहुत धीमी रही है, जिससे राज्य सरकार की योजनाओं की कार्यान्वयन क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं.
जलवायु और मौसम का प्रभाव
झारखंड के कई जिलों में ठंड और कुहासा बना हुआ है. रांची में बुधवार को दृश्यता 1000 मीटर रही, जो सामान्यतः 2000 मीटर होती है. मौसम विभाग के अनुसार, अगले पांच दिनों तक राज्य में बादल छाए रहेंगे और 20 जनवरी के बाद मौसम साफ होने की उम्मीद है. ठंड के कारण कई जिलों में तापमान में दो से तीन डिग्री की कमी दर्ज की गई है.