रांची: झारखंड के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने राज्य में आदिवासी अस्मिता के सवाल को लेकर बड़ा जनांदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने 30 जून से “जागो आदिवासी, जागो झारखंडी” नामक जनांदोलन की शुरुआत करने की घोषणा की। यह ऐलान उन्होंने रांची स्थित अपने आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान किया।
चंपाई सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना को लगभग 25 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार अपने मूल उद्देश्यों से भटक चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज के झारखंड में न तो आदिवासी सुरक्षित हैं और न ही मूलवासी। राज्य की जनसांख्यिकी में बड़ा बदलाव आया है और बाहरी लोगों की घुसपैठ से आदिवासी समाज हाशिये पर चला गया है।
“सरकार बन गई है गूंगी”
सोरेन ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “पूरे प्रदेश में आदिवासियों की जमीन की बंदरबांट हो रही है। सरकार न इसे देख रही है, न बोल पा रही है — वह गूंगी बन गई है।” उन्होंने दावा किया कि झारखंड के कई गाँवों में आदिवासियों की ज़मीन छीनी जा चुकी है और वहाँ अब एक भी आदिवासी परिवार नहीं बचा है।
फर्जी प्रमाण पत्र और धर्मांतरण पर चिंता
चंपाई सोरेन ने राज्य में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वालों की जाँच की माँग की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो आदिवासी लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
धर्म कोड की बहाली की माँग
उन्होंने 1951 में आदिवासियों के पास मौजूद धर्म कोड की चर्चा करते हुए कहा कि 1961 में इसे कांग्रेस सरकार ने खत्म कर दिया था। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी से माफी माँगने की मांग की।
“यह सिर्फ मेरा मुद्दा नहीं है”
प्रेस वार्ता में चंपाई सोरेन ने यह स्पष्ट किया कि यह आंदोलन सिर्फ उनका नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समाज का है। उन्होंने कहा, “आदिवासी अस्मिता को बचाना एक सामाजिक मुद्दा है, यह चंपाई सोरेन का मुद्दा नहीं है।”
जनांदोलन की तैयारी
उन्होंने बताया कि 30 जून से शुरू होने वाले इस जनांदोलन की तैयारी पूरे प्रदेश में चल रही है और यह आंदोलन गाँव-गाँव तक पहुँचेगा। “जागो आदिवासी, जागो झारखंडी” का नारा देते हुए उन्होंने सभी आदिवासियों और झारखंडवासियों से अपील की कि वे अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर इस आंदोलन में भाग लें।