रांची: माइनिंग लीज आवंटन को लेकर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा भेजी गई नोटिस का झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब सौंप दिया है। विशेष प्रतिनिधि के जरिए आयोग को भेजे गए जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके पास फिलहाल कोई माइनिंग लीज नहीं है। उनके खिलाफ लगाया गया आरोप पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। गौरतलब है कि भाजपा के एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस को शिकायत की थी कि मुख्यमंत्री ने अपने नाम से रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज लिया है। यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है। इस आलोक में उनकी सदस्यता निरस्त की जाए।
राज्यपाल रमेश बैस ने इसपर भारत निर्वाचन आयोग का मंतव्य मांगा था। चुनाव आयोग ने इस सिलसिले में हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। पहले जवाब देने की मियाद 10 मई तय की गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी मां की बीमारी का हवाला देकर समय की मांग की थी। आयोग ने 10 दिनों का अतिरिक्त समय दिया था। आयोग को भेजे गए जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिक्र किया है कि रांची के अनगड़ा मौजा में 88 डिसमिल जमीन की माइनिंग लीज 17 मई 2008 को दस साल के लिए दिया गया था।
वर्ष 2018 में उन्होंने लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया था, लेकिन आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया। इसके बाद रांची के उपायुक्त ने वर्ष 2021 में नए सिरे से माइनिंग लीज के लिए आवेदन आमंत्रित किया। उन्होंने आवेदन दिया और नियमों का पालन करते हुए उन्हें माइनिंग लीज प्रदान की गई। उन्हें चार फरवरी तक खनन करने की अनुमति (सीओटी) नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने बगैर खोदाई किए लीज सरेंडर कर दिया। उनके पास कोई माइनिंग लीज नहीं है। हेमंत सोरेन ने भारत निर्वाचन आयोग को भेजे गए जवाब में कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत और गलत भावना से प्रेरित है। वे पूरी तरह निर्दोष हैं। जब उनसे आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा तो उनके पास कोई खनन लीज नहीं था। उन्होंने इसका कोई लाभ नहीं लिया।