मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किसानों की स्थिति में सुधार लाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार गांवों की जड़ों को मजबूत करने के लिए कृतसंकल्प है और यह तभी संभव है जब हमारे किसान मजबूत होंगे. विगत चार वर्षों में राज्य सरकार ने किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन और नीतियों का निर्धारण किया है, जो आने वाले समय में विकास का आधार साबित होंगी.
सहकारिता महासम्मेलन में मुख्यमंत्री की घोषणाएं
रांची के डिबडीह स्थित कार्निवल बैंक्विट हॉल में आयोजित प्रमंडल स्तरीय सहकारिता महासम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विकास की दिशा में सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया. इस अवसर पर उन्होंने 236 चलंत पशु चिकित्सालय वाहनों का शुभारंभ भी किया, जो राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में पशुओं की देखभाल और उपचार के लिए सेवाएं प्रदान करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के गठन के चंद दिनों बाद से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इन सभी चुनौतियों से लड़ते हुए सरकार ने गरीब, वृद्धजन, महिलाएं, किसान, आदिवासी, दलित, शोषित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए जो काम किया है, वह एक मजबूत और स्थायी आधारशिला की तरह है. उन्होंने कहा, “हमने जो लंबी लकीर खींची है, उसे मिटाना असंभव है”.
केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल
हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार की किसानों के लिए बनाई गई नीतियों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि देश में किसानों के लिए बनाई गई नीतियां अपेक्षाकृत कारगर साबित नहीं हुई हैं. सोरेन ने चिंता व्यक्त की कि बड़े पैमाने पर किसान अब खेतिहर मजदूर के रूप में गिने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विकास के विभिन्न मापदंड, सही नीति निर्धारण की कमी और जलवायु परिवर्तन के कारण किसान मजदूर बनने पर मजबूर हो रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों के लिए खेती की वैकल्पिक व्यवस्था पर विशेष जोर दिया है. राज्य सरकार का प्रयास है कि किसान बंधुओं को खेती-कृषि के साथ-साथ पारंपरिक व्यवस्थाओं से जोड़कर आगे बढ़ाया जाए. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पशुपालन से संबंधित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं और अपनी आय में वृद्धि करें.
किसानों के लिए नई योजनाएं और ऋण माफी
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की किसानों के हित में उठाए गए विभिन्न कदमों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के दो लाख रुपए तक के कृषि ऋण माफी का निर्णय लिया है. यह निर्णय किसानों को वित्तीय बोझ से राहत देने के लिए उठाया गया है. साथ ही, सरकार ने पहली बार ऐसी नीति बनाई है जिसमें कृषकों को प्रदान किए जाने वाले सभी पशुओं का बीमा किया जाता है, ताकि पशुओं के मरने पर किसानों को बीमा की राशि उपलब्ध कराई जा सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीणों का मूलधन खेत-खलिहान और पशुधन होता है. इसलिए सरकार इनकी सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके साथ खड़ी है और उनके विकास के लिए हर संभव कदम उठाएगी.
सहकारिता के महत्व पर जोर
सहकारिता महासम्मेलन के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने सहकारिता के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि सहकारिता से न सिर्फ आर्थिक विकास होता है, बल्कि सामाजिक एकता भी मजबूत होती है. उन्होंने सहकारिता संगठनों से अपील की कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से विकास की गति को और तेज करें.
अन्य प्रमुख घोषणाएं
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, सांसद सुखदेव भगत, महुआ माजी, विधायक कल्पना सोरेन, झारखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद और अन्य प्रमुख नेता भी मौजूद थे. उन्होंने भी किसानों और ग्रामीण विकास के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की और आगे बढ़ने के लिए सरकार की योजनाओं का समर्थन किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होंगी. उन्होंने कहा कि किसानों के सशक्तिकरण के बिना राज्य का समग्र विकास संभव नहीं है, इसलिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि किसानों की स्थिति में सुधार हो और वे आत्मनिर्भर बन सकें.