झारखंड सहित देश के अन्य भागों में 4 दिनों तक चलने वाला सूर्योपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही संपन्न हो गया। आज ब्रह्ममुहूर्त में ही छठव्रती पूर्व निर्धारित छठ घाटों पर पहुंचने लगे थे। जल में खड़े होकर छठव्रतियों ने भगवान भुवन भास्कर की आराधना करते हुए, उनसे जल्दी प्रकट होने की प्रार्थना की। आसमान में सूर्योदय की लालिमा छाते ही, मंत्रोच्चार के साथ सूर्य देवता को अर्घ्य देने का क्रम शुरू हो गया। इसके साथ ही आत्म अनुशासन, पवित्रता और श्रद्धा-भक्ति के महापर्व छठ का समापन हो गया।
छठ पूजा मनाने वाली व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कड़ी साधना की। इस मौके पर व्रतियों ने सूर्यदेव से अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना की। देश के विभिन्न शहरों में सूर्य को सुबह अर्घ्य दिया गया।
इससे पहले शुक्रवार को महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर धूमधाम से पूजा अर्चना की थी। शाम चार बजे से ही नदी व पोखरों पर महिलाएं पूजा के लिए पहुंच गईं और शाम ढलने के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर ही लौटीं। छठ पर्व को लेकर शहर से गांव तक धूम रही. छठ व्रतियों ने शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया, वहीं शनिवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। राजधानी दिल्ली में छठ घाट पर व्रतियों के अलावा परिवार के सदस्यों की भीड़ उमड़ी रही। इस दौरान बच्चों में काफी उत्साह देखा गया. छठ घाट पर छोटे-छोटे बच्चे जहां पटाखे फोड़ रहे थे, वहीं, महिलाएं छठ गीत गा रही थी, इससे पूरी तरह छठमय बना रहा।