झारखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही मंईयां सम्मान योजना, जिसका उद्देश्य महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करना है, अब साइबर अपराधियों के लिए ठगी का नया जरिया बन गई है. योजना का लाभ पाने की कोशिश में लगी महिलाओं को ये अपराधी अपना निशाना बना रहे हैं. वे विशेष रूप से उन महिलाओं को टारगेट कर रहे हैं, जिनके खाते में किसी कारणवश योजना की राशि जमा नहीं हो रही है. ये अपराधी फोन कर महिलाओं से उनके बैंक खाते और आधार कार्ड की डिटेल्स मांगते हैं, और फिर उनके खातों से पैसे निकाल लेते हैं.
ठगी का खुलासा
बुधवार को बड़ी संख्या में महिलाएं रांची अंचल कार्यालय पहुंचीं, यह जानने के लिए कि उनके खाते में योजना की राशि क्यों नहीं आई. जब महिलाओं ने कार्यालय में इसकी जांच की, तो ठगी का पर्दाफाश हुआ. अंचल कार्यालय में ऐसी महिलाओं की सूची चिपकाई गई थी जिन्होंने योजना के लिए आवेदन तो किया था, लेकिन उनके खाते में राशि जमा नहीं हुई. यह पता चला कि साइबर अपराधियों ने इसी सूची से महिलाओं का डिटेल्स निकाला और उन्हें फोन कर ठगा. इस दौरान कई महिलाओं को पता चला कि उन्हें भी साइबर ठगी का शिकार बनाया जा चुका है. अफसोस की बात यह है कि ठगी की शिकार महिलाएं एफआईआर दर्ज कराने से भी कतराती हैं, क्योंकि ठगी की राशि छोटी होती है. सिटी एसपी आरके मेहता ने इस मामले पर कहा कि अगर कोई शिकायत दर्ज कराता है, तो पुलिस मामले की पूरी कार्रवाई करेगी. उन्होंने महिलाओं को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा कि किसी भी अनजान व्यक्ति को अपने बैंक खाते की जानकारी न दें.
साइबर ठगी के दो मामले
• बबली नायक की ठगी: तुपुदाना की रहने वाली बबली नायक ने मंईयां सम्मान योजना के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनके खाते में पैसे नहीं आए. तभी एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें फोन किया और बताया कि उनका खाता बंद है, इसलिए योजना की राशि जमा नहीं हो पा रही है. उसने बबली से उनके बैंक खाते का डिटेल्स और आधार कार्ड की जानकारी वॉट्सएप पर मंगवाई. अगले दिन बबली के खाते से 1100 रुपये गायब हो गए.
• सना परवीन का केस: पत्थलकुदवा की सना परवीन ने भी मंईयां योजना के लिए फॉर्म भरा था, लेकिन उनके खाते में भी पैसे नहीं आए. उन्हें एक व्यक्ति ने फोन किया, जिसने खुद को बैंक का कर्मचारी बताया. उसने कहा कि सना के बैंक खाते का आईएफएससी कोड गलत है, इसलिए पैसा नहीं आ रहा. उसने खाते की डिटेल्स और आधार कार्ड मंगवाया. कुछ समय बाद सना के खाते से 3300 रुपये निकल गए.
साइबर अपराधियों की रणनीति
साइबर अपराधी उन महिलाओं को टारगेट कर रहे हैं जो कम पढ़ी-लिखी हैं और जिन्हें योजना की प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं है. अंचल कार्यालय में लगाई गई सूची में महिलाओं का पूरा डिटेल्स उपलब्ध है, जिसका फायदा उठाकर अपराधी ठगी कर रहे हैं. इस सूची में नाम और पता के अलावा महिलाओं का बैंक खाता नंबर, आधार कार्ड नंबर आदि भी शामिल हैं. इस जानकारी के आधार पर अपराधी महिलाओं को कॉल करते हैं और उन्हें फंसाते हैं. इस तरह की ठगी के मामले राजधानी में कई बार सामने आ चुके हैं, लेकिन राशि कम होने के कारण महिलाएं ज्यादातर शिकायत दर्ज नहीं कराती हैं.
सावधानी बरतने की अपील
साइबर एक्सपर्ट सौरभ कुमार ने कहा कि अंचल कार्यालय की सूची में सिर्फ नाम और पता होना चाहिए, पूरी डिटेल्स नहीं. उन्होंने कहा कि ऐसी सूचियों से अपराधी महिलाओं की जानकारी लेकर उन्हें ठगते हैं. उन्होंने महिलाओं से अपील की है कि वे किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने खाते या आधार से संबंधित जानकारी न दें. साथ ही, अगर उन्हें कोई संदिग्ध कॉल आता है, तो उसकी जानकारी तुरंत पुलिस को दें. साइबर एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि कई बार दलाल भी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर आवेदकों से बैंक डिटेल्स लेकर ठगी करते हैं, जिससे बचने की जरूरत है.