चंपई सोरेन, जो झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख नाम रहे हैं, अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए चेहरे के रूप में उभर रहे हैं. हाल ही में उनके भाषणों में बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण आदिवासी जनसंख्या में हो रही कमी का मुद्दा प्रमुखता से उभरता दिख रहा है. संताली भाषा में अपने भाषण की शुरुआत कर, वे इसे “जय श्रीराम” के नारे के साथ समाप्त करते हैं, जो अब उनकी पहचान बन चुकी है. भाजपा ने चंपई सोरेन को राज्य की आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका देने का निर्णय लिया है.
भाजपा का नया चेहरा: चंपई सोरेन
चंपई सोरेन के राजनीतिक करियर पर नज़र डालें तो वे हमेशा से एक सधे हुए और निजी तौर पर शालीन नेता रहे हैं. हालांकि, राजनीति के मैदान में उनकी आक्रामकता साफ दिखती है. भाजपा में शामिल होने के बाद, वे पार्टी के नेतृत्व और नीतियों को तेजी से समझते हुए राज्य के चुनावी परिदृश्य में एक नई ताकत के रूप में उभर रहे हैं. भाजपा नेतृत्व भी उनके इस राजनीतिक दृष्टिकोण और प्रभाव को देखते हुए उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है. हाल ही में दैनिक जागरण को दिए गए एक इंटरव्यू में, चंपई सोरेन ने झारखंड की राजनीति, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से उनका मोहभंग और भाजपा की सरकार बनाने की संभावनाओं पर खुलकर बातचीत की. उनके विचारों से स्पष्ट होता है कि वे अब अपने नए राजनीतिक सफर में पूरी तरह से ढल चुके हैं और राज्य में भाजपा की सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त हैं.
झारखंड आंदोलन से मिली सीख
चंपई सोरेन का कहना है कि झारखंड आंदोलन में जिस प्रकार से संघर्ष किया गया, उससे उनके जीवन में अनुशासन और समझ विकसित हुई. यही वजह है कि जब उन्होंने भाजपा में कदम रखा, तो उन्हें पार्टी की नीतियों और तौर-तरीकों को अपनाने में कोई परेशानी नहीं हुई. वे कहते हैं, “हम आंदोलन करने वाले लोग हैं. अगर कहीं हमारे मुद्दों और विचारों को सम्मान मिलता है, तो हम एडजस्ट कर जाते हैं. भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी हमें उसी प्यार से अपनाया है, जैसे हमने अपने संघर्ष के दिनों में एक-दूसरे का साथ दिया था”. इस बयान से स्पष्ट होता है कि चंपई सोरेन को भाजपा में बहुत जल्दी अपनाया गया है और वे भाजपा के रंग में तेजी से रंग गए हैं. उन्हें न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल रहा है, बल्कि वे खुद भी पार्टी के सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान हो गए हैं.
विकास के प्रति प्रतिबद्धता
चंपई सोरेन के अनुसार, वे भाजपा में किसी पद या अवसर के लिए नहीं आए हैं, बल्कि उनका एकमात्र लक्ष्य कोल्हान और झारखंड का विकास है. उनका मानना है कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आदिवासी, पिछड़े, दलित और मूलवासी के हितों में लगातार काम हो रहा है, और वे इस प्रक्रिया में सहयोग देना चाहते हैं. वे कहते हैं, “हमारा उद्देश्य केवल विकास है. पहले भी हम झारखंड के विकास के लिए काम कर रहे थे, लेकिन अब हमारे पास राष्ट्रीय मंच है. हमारा सपना है कि झारखंड को देश के विकसित राज्यों में शामिल किया जाए. यह बयान साफ करता है कि चंपई सोरेन विकास के मुद्दे को अपनी राजनीति का केंद्र बना रहे हैं और वे किसी भी प्रकार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से परे होकर राज्य की भलाई के लिए काम कर रहे हैं.
भाजपा की सरकार बनना तय
चंपई सोरेन के अनुसार, झारखंड में भाजपा की सरकार बनने से अब कोई नहीं रोक सकता. हाल ही में जमशेदपुर में आयोजित परिवर्तन महारैली में लाखों लोगों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि राज्य की जनता अब परिवर्तन चाहती है. वे कहते हैं, “रविवार, 15 सितंबर को जमशेदपुर में जो परिवर्तन महारैली हुई, उसमें लाखों लोग शामिल हुए. यह स्पष्ट संकेत है कि झारखंड की जनता अब बदलाव का मन बना चुकी है. भाजपा की सरकार राज्य में बनेगी और इसे कोई नहीं रोक सकता”. उनका विश्वास इस बात पर आधारित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के लिए कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है और राज्य की जनता उनके इस प्रयास की सराहना कर रही है. वे कहते हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारी बारिश में 130 किलोमीटर की यात्रा गाड़ी में तय कर जमशेदपुर पहुंचे. यह उनकी झारखंड के प्रति सच्ची निष्ठा को दर्शाता है. राज्य की जनता इस प्यार का बदला भाजपा की सरकार बनाकर देगी”.
बांग्लादेशी घुसपैठ: आदिवासी जनसंख्या के लिए खतरा
चंपई सोरेन के भाषणों में अक्सर बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठता है, जो संताल परगना के आदिवासी समाज के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में उभर रहा है. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी इस मांग को सुना और इसे राष्ट्रीय मंच पर उठाया. वे कहते हैं, “मैं हमेशा से बांग्लादेशी घुसपैठ से संताल परगना में आदिवासी समाज को हो रहे नुकसान को लेकर चिंतित रहा हूँ. पहले हमारी बात नहीं सुनी गई थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है”. चंपई सोरेन ने कहा कि संताल समाज की जनसंख्या में तेजी से कमी आ रही है और यह एक भयावह स्थिति है. उनका कहना है कि कई गांव खाली हो रहे हैं और वहां घुसपैठियों का कब्जा हो रहा है. इस समस्या से न केवल आदिवासियों की जमीन और संस्कृति को खतरा है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर मुद्दा है. वे कहते हैं, “हमारी बेटियों की इज्जत खतरे में है और हमारी जमीनें लूटी जा रही हैं. यह केवल संताल परगना का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी गंभीर मुद्दा है”.
झामुमो से मोहभंग और भाजपा में नया सफर
चंपई सोरेन ने झामुमो से अपने मोहभंग का कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के पार्टी छोड़ दी. वे कहते हैं, “मैं झामुमो से बिना एक ईंट लिए निकल गया हूँ. किसी पर निजी हमले करना मेरी आदत नहीं है. जिन्होंने मेरे साथ गलत किया, उसका फैसला झारखंड की जनता करेगी”. वे कहते हैं कि उन्होंने गुरुजी (शिबू सोरेन) के साथ झारखंड आंदोलन में संघर्ष किया और उन्होंने हमेशा यह सीखा कि बिना शिकायत किए अपने लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहिए. उनका मिशन हमेशा से यही रहा है कि राज्य के आदिवासी सुखी हों और उनका विकास हो. चंपई सोरेन का यह बयान झामुमो के साथ उनके संबंधों के अंत का संकेत देता है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट करता है कि वे अपने राजनीतिक सफर को किसी व्यक्तिगत दुश्मनी के रूप में नहीं देखते. उनका उद्देश्य केवल राज्य के आदिवासियों और झारखंड के विकास के लिए काम करना है, और इसके लिए वे भाजपा में अपनी नई भूमिका के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.