वैश्विक महामारी कोविड-19 से बोकारो स्टील प्लांट में 38 दिनों (5 अप्रैल, 21 से लेकर 13 मई, 21 के बीच) में 17 कर्मी की मौत हुई है. वहीं, 15 मई तक 600 से अधिक बीएसएल कर्मी कोरोना पॉजिटिव हुए हैं. इनमें से 20 प्रतिशत का इलाज बीजीएच में चल रहा है. बाकी 80 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव कर्मी होम आइसोलेशन में है.
बीजीएच के रिकॉर्ड के अनुसार, कुल पॉजिटिव की संख्या 750 है. इनमें बीएसएल कर्मी की संख्या 600 से कुछ अधिक है. बाकी उनके परिवार जन या अन्य मरीज हैं. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बोकारो स्टील प्रबंधन की ओर से प्लांट के अंदर और बाहर जांच, टीकाकरण, सेनिटाइजेशन, फॉगिंग, हैंड्स ग्लब्स, जागरूकता सहित कई तरह के उपाय किये जा रहे हैं.
सेल में अनुकंपा नियुक्ति पर अब तक फैसला नहीं..
बीएसएल में कोरोना काल के दौरान संक्रमण का शिकार होकर दिवंगत हुए एक दर्जन से अधिक कर्मचारी व अधिकारियों के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति पर अब तक सेल स्तर पर फैसला नहीं हो पाया है. यूनियनों की मांग के बावजूद सेल प्रबंधन की ओर से अब तक किसी तरह की कवायद नहीं हुई है. वहीं, इस्पात उत्पादन में सेल-बीएसएल की प्रमुख प्रतिद्विंदी कंपनी जिंदल कर्मियों के हित में एक कदम आगे बढ़ गया. जिंदल ने 19 दिवंगत कार्मिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दे चुका. इसे लेकर अब सोशल मीडिया पर जमकर बीएसएल-सेल प्रबंधन के खिलाफ कर्मी आक्रोश निकालने लगे हैं कि जिंदल के लिए उसके कर्मी एक पूंजी है, यहां के लिए सिर्फ टाईम पास… और भी बहुत कुछ.
सामूहिक बीमा, मुआवजा व अनुकंपा नियुक्ति की मांग..
बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल के सभी इकाइयों में कोविड-19 महामारी अपना प्रकोप दिखा रही है. सेल में सबसे ज्यादा मृत्यु भिलाई इस्पात संयंत्र में कर्मचारियों की हुई है. लॉकडाउन में भी बीएसएल-सेल कर्मचारी लगातार अपने दायित्वों का निर्वाह करते रहे हैं. इस दौरान कई विभाग में सामूहिक संक्रमण के मामले भी आये हैं, जिसके बाद कर्मचारियों को गंभीर परिस्थितियों से गुजारना पड़ा. वैश्विक महामारी में उत्पादन को जारी रखने वाले कर्मचारी समुदाय के लिए सामूहिक बीमा, मुआवजा और अनुकंपा नियुक्ति की मांग की जा रही है. प्रबंधन से अब तक सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. इससे बीएसएल सहित सेल की सभी इकाइयों के कर्मी आक्रोशित है.
यूनियन प्रतिनिधियों और प्रबंधन पर कई सवाल..
बीएसएल-सेल कर्मियों के इंटरनेट ग्रुप में जिंदल स्टील के निर्णय की खबर आने के बाद कर्मियों ने प्रमुखता से इस मामले को लिया है. यूनियन प्रतिनिधियों और प्रबंधन पर सवाल दागते हुए कर्मियों का कहना है कि जब प्रबंधन वेतन समझौते में कर्मियों के वेतन की तुलना निजी क्षेत्र से करता है, तो इस मामले में अब तक क्यों तुलना नहीं की गयी. जिंदल जैसी छोटी कंपनियां अपने कर्मचारी के मृत्यु होने पर अनुकंपा के आधार पर उसके आश्रित को नौकरी दे रही है. लेकिन, सेल जो अपने आप को महारत्न कहती है, उस कंपनी में कर्मचारियों के आश्रितों की सुध तक नहीं ली जाती है. कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है ? ऐसा क्यों ? इस तरह के कई सवाल उठाये जा रहे हैं.
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