झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत आने वाले बिशुनपुर प्रखंड के टुटुवापानी गांव के विकास पर सरकार और प्रशासन का कोई ध्यान नहीं जा रहा है। यहां प्रशासन के अलावा हिंडाल्को कंपनी भी इस क्षेत्र में सीएसआर के तहत सुविधा प्रदान कराने में असफल रही है। यहां की जनता सरकारी सुविधाओं से कोसो दूर है। दरअसल नरमा पंचायत स्थित टुटुवापानी गांव बिशुनपुर प्रखंड में आता है, जो जंगल और पहाड़ों के बीच बसा है। बताया जा रहा है कि इस गांव में करीब 70 परिवार है। जिसमें विलुप्त हो रही आादिम जनजाति जैसे मुंडा, बृजिया और उरांव परिवार शामिल है। इस गांव में बसे बृजिया जनजाति अब विलुप्त होने के कगार पर आ चुके हैं। जिसका मुख्य कारण गरीबी और सरकारी सुविधा का अभाव है । जो आदिम जनजाति को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर कर रही हैं। इसके साथ ही दूसरी जनजाति भी धीरे-धीरे धर्म परिवर्तन को अपना रहे हैं। जिसकी जानकारी गुमला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी है लेकिन इसपर रोक लगाने की किसी ने भी कोशिश नहीं की है।
गांव में शौचालय नहीं..
बता दें कि टुटुवापानी गांव में शौचालय नहीं है। जिस कारण यहां के लोग खुले में शौच जाते हैं। यहां तक कि महिलाओं को भी खुले खेत में ही शौच के लिए जाना पड़ता है। यहाँ कोई स्वास्थ्य व्यवस्था भी नहीं है। जिस कारण ग्रामीणों को बनारी और बिशुनपुर इलाज कराने जाना पड़ता है। इस गांव में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना की सुविधा भी नहीं प्राप्त हुई है। जिस कारण ग्रामीण कच्ची मिटटी के घरों में रहते है। जहां उन्हें बरसात के दिनों में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही लोगों को घर मे बार बार मरम्मत करते रहना पड़ता है। वहीं इस गांव की सड़कें भी कच्ची है। जिसमें बरसात पानी जमा रहता है। हालांकि इस गांव में जलमीनार बना है लेकिन बरसात के दिनों में जलमीनार से पानी नहीं मिल पाता है। धूप न निकलने के कारण सोलर चार्ज नहीं हो पाता। जिस कारण गांव वालों को कुआं व दाड़ी का पानी पीना पड़ता हैं। वहीं बृजिया सामुदाय के लोगों एक किमी दूर से पानी लाते है।
बिजली और मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं..
बता दें कि टुटुवापानी में बृजिया जनजाति के लोग रहते हैं। सरकार ने इन्हें आदिम जनजाति होने के कारण बिरसा आवास दिया है लेकिन, अभी तक बृजिया जनजाति के लोगों को इसका पूरा फायदा नहीं मिला सका है। इनके घरों में शौचालय का भी निर्माण नहीं कराया गया है। साथ ही टुटुवापानी गांव में बिजली पोल और तार तो लगाए गए है, लेकिन उसमें बिजली नहीं आ रही और न ही गांव में मोबाइल नेटवर्क है। जिस कारण बच्चों को पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती है।
ग्रामीण ने दी जानकारी..
वहीं ग्रामीण लाजरूस टोप्पो ने बताया कि गांव में बिजली न होने के कारण काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने कई बार बिजली बहाल करने की मांग भी की है लेकिन हर बार उनकी मांग को अनसुना किया गया है। वहीं बरसात के दिनों में गांव की सड़कें चलने योग्य नहीं होती। लीबनियुस टोप्पो ने बताया कि ग्रामीणों को सरकारी सुविधाओं से महरूम रखा गया हैं। प्रशासन भी उनके गांव की समस्याओं को दूर करने का कोई प्रयास नहीं कर रही है। वह बॉक्साइड माइंस में मजदूरी कर अपना जीवन चला रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण मीना मिंज ने बताया कि गांव के कई घरों में शौचालय तक का निर्माण नहीं किया गया है। जिस कारण महिलाएं खेत में शौच करने जाती है। अगर उनके गांव में शौचालय बन जाता तो महिलाओं को खुले जगह पर शौच के लिए नहीं जाना पड़ता। साथ ही उन्होंने प्रशासन से गांव में शौचालय बनवाने की मांग भी की ताकि उन्हें अपनी परेशानियों से कुछ राहत मिल सकें।