स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के चासनाला खदान से फिर कोयला का उत्पादन होगा और यहां भी बालू की जगह बॉटम ऐश मिलाकर रिक्त स्थानों की पूर्ति की जाएगी। इससे पहले जीतपुर में बालू के साथ फ्लाई ऐश मिलाकर रिक्त स्थान भरने का प्रयोग सफल रहा। इसीलिए खान सुरक्षा महानिदेशालय द्वारा यहां भी इस प्रयोग को आजमाने की इजाज़त दे दी है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए चासनाला खदान में सेल प्रबंधन द्वारा बालू आपूर्ति के लिए निविदा भी जारी की जा चुकी है। इसका टेंडर पेपर जमा करने की आखिरी तारीख 27 मार्च है। अभी 40 हज़ार टन बालू आपूर्ति करने की निविदा जारी की गई है।
हालांकि चासनाला खदान की गहराई ज़्यादा है। इसीलिए यहां फ्लाई ऐश की जगह बॉटम ऐश का इस्तेमाल किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले महीने से उत्पादन की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
डीजीएमएस द्वारा सेल कोलियरी डिवीजन की चासनाला स्थित दो खदानें एवं जीतपुर की एक खदान को पांच अगस्त को बन्द करा दिया गया है। इसके बालू का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका था। खनन विभाग ने बालू खनन पर रोक लगाने के साथ कॉन्ट्रैक्ट से अधिक समय तक बालू का अवैध खनन के लिए जुर्माना भी लगा दिया था। इसके पश्चात डीजीएमएस ने कोयला निकालने से रिक्त स्थान की भराई नहीं होने पर सुरक्षा का खतरा देखते हुए खनन कार्य पर रोक लगा दी। बाद में डीजीएमएस से हुई वार्ता में बालू की जगह फ्लाई ऐश मिलाकर रिक्त स्थान भरने की सहमति बनी। जीतपुर कोलियरी में इसका प्रयोग सफल होने के बाद खुले बाजार से बालू की खरीद की गयी और उसमें मैथन पावर लिमिटेड से ऐश मंगाकर सफल प्रयोग किया गया। डीजीएमएस द्वारा अब चासनाला में भी इसके स्थायी उपयोग हेतु हरी झंडी दे दी गयी है। ज्ञात हो कि खदान बंद रहने की वजह से इसके तकरीबन 1500 ठेकाकर्मी बेरोज़गार हो गए थे।
सेल कोलियरी डिवीज़न के सीजीएम संजय तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि चासनाला खदान में बॉटम ऐश का प्रयोग किया जाएगा। ये पावर प्लांट की चिमनी के नीचे से निकाला जाता है। यह तकरीबन बालू जैसा ही होता है और फ्लाई ऐश से भारी होता है। संजय तिवारी ने ये भी बताया कि बालू खरीद के लिए निविदा जारी की गई है। डीजीएमएस द्वारा इसका उपयोग बालू में मिलाकर करने की इजाज़त दी गयी है। शुरू में कम, बाद में अधिक मात्रा में ऐश और कम मात्रा में बालू मिलाया जाएगा। इसे अंतिम रूप देते ही उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।