कचरा बेच मुनाफा कमाकर बोकारो स्टील ने पहना ताज..

कहते है कि बिजनेस में अगर प्रॉफिट कमाया जाए तभी उस बिजनेस की ग्रोथ बनी रहती है और जब यह प्रॉफिट बेकार पड़े समान या इस्तेमाल में ना आनेवाले समान से हो तो उसकी वैल्यू और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा ही कुछ किया है बोकारो स्टील प्लांट ने जिसने काम ना आने वाले समान को बेचकर मुनाफा कमाया और पहन लिया नंबर वन का ताज।

दरअसल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के हाल में जारी वित्तीय परिणाम में बोकारो स्टील प्लांट ने नंबर वन का पोजिशन पाया है। इस सफलता के बाद बोकारो स्टील अब एक प्रेरणास्रोत बन गई है।
बता दे कि पिछले साल में सेल ने 68 सौ करोड़ का मुनाफा कमाया। टैक्स सहित अन्य देनदारी के भुगतान के बाद कंपनी को 3850 करोड़ का मुनाफा हुआ। जिसमें कर पूर्व लाभ के रूप में बोकारो स्टील की 2251 करोड़ की हिस्सेदारी है।

बोकारो स्टील प्लांट के प्रॉफिट कमाने के पीछे कई जरूरी बातें रही। बोकारो स्टील ने प्लांट में निकले खाद, फिनाइल, अलकतरा और अन्य उत्पाद की बिक्री की। पहली बार NHAI ने हाईवे में मिट्टी और बालू की जगह 1.70 लाख क्यूबिक मीटर फ्लाई ऐश भरी। स्लैग और स्क्रैप का प्लांट में उपयोग के साथ बिक्री किया गया। श्रम शक्ति का पूरी झमता से सही इस्तेमाल किया और विदेश में पिछले साल के मुकाबले 68 फ़ीसद अधिक निर्यात किया जिनमें चीन, इटली और वियतनाम देश शामिल है। इन सब कारणों से बोकारो स्टील प्लांट को प्रॉफिट हुआ।

हालांकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 48 करोड़ का मुनाफा कमाने वाले बोकारो इस्पात संयंत्र ने एक साल में अपने दम पर 2251 करोड़ का मुनाफा कमाया है। संयंत्र ने 1000 करोड़ केवल स्लैग बेचकर कमाया तो वहीं 1200 करोड़ रूपए विदेश में इस्पात बेचकर कमाए। इस्पात की कीमत में वृद्धि से सेल को फायदा हुआ।

बोकारो स्टील के पावर प्लांट से फ्लाई ऐश निकलती है। जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं हैं। हालांकि इसके लिए राष्ट्रीय उच्च पथ प्राधिकरण से समझौता कर 1.70 लाख क्यूबिक मीटर राख का निपटान किया गया। बेकार पड़े उपकरणों को अपने अधिकारी द्वारा ठीक कराया।

बोकारो इस्पात संयंत्र पड़ोसी देश बांग्लादेश,भूटान, नेपाल और श्रीलंका को इस्पात देता था लेकिन कोविड के दौरान पहली बार इटली,चीन और वियतनाम को भी इस्पात की आपूर्ति की गई। उस समय इसकी घरेलू बाजार में मांग बहुत कम थी। पिछले साल 1.80 लाख टन निर्यात हुआ था। इस साल यह आंकड़ा 3.32 लाख टन पहुंचा।