झारखंड चुनाव: भाजपा का घुसपैठ मुद्दा, झामुमो का संताल परगना बंटवारे का आरोप…..

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने अपनी रणनीतिक चालों में से एक बड़ी चाल के रूप में संताल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया है. यह मुद्दा खास तौर पर बंगाल की सीमा से सटे इलाकों में जोर-शोर से उठाया जा रहा है, क्योंकि यह क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का गढ़ माना जाता है. इसी रणनीति को और मजबूत करते हुए, रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जमशेदपुर की एक रैली में भी बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. इस मुद्दे के उभार से यह स्पष्ट है कि भाजपा इस बार के विधानसभा चुनाव को इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित करना चाह रही है.

भाजपा का मुख्य उद्देश्य

भाजपा का यह कदम साफ तौर पर झामुमो को उसके मजबूत गढ़ में घेरने की एक रणनीति है. पार्टी चाहती है कि आदिवासी मतदाताओं को इस मुद्दे के माध्यम से अपनी ओर आकर्षित किया जाए. इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने का कारण यह है कि भाजपा जानती है कि अगर वह संताल परगना के आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगा पाई, तो उसे बड़ा लाभ हो सकता है. झामुमो, जो कि हमेशा से इस क्षेत्र में मजबूत रहा है, भाजपा के इस कदम की काट के रूप में संताल परगना के बंटवारे का आरोप लगाकर भाजपा की रणनीति को नाकाम करने की कोशिश में है. भाजपा पर यह आरोप लगाकर, झामुमो अपने समर्थकों के बीच भावनात्मक अपील करने की कोशिश कर रही है.

हेमंत सोरेन का प्रतिवाद

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो झामुमो के प्रमुख नेता हैं, लगातार भाजपा पर हमला बोल रहे हैं. चार दिन पहले संताल परगना की एक जनसभा में सोरेन ने भाजपा पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा संताल परगना को तोड़ने की साजिश कर रही है. उन्होंने आदिवासी समुदाय को चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा के नेताओं को गांव में प्रवेश न करने दिया जाए. सोरेन की इस भावनात्मक अपील से साफ है कि वह इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, ताकि भाजपा के आरोपों का प्रभाव कम किया जा सके.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का बयान

भाजपा के इस रणनीतिक मुद्दे को और तेज करने के लिए पार्टी के नेता लगातार इस पर बयानबाजी कर रहे हैं. गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में लोकसभा में संताल परगना की डेमोग्राफी बदलने का दावा करते हुए कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां आकर आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं, जिससे जनसंख्या संतुलन बिगड़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण मुस्लिम आबादी में वृद्धि हो रही है, जिससे हिंदू गांव खाली हो रहे हैं. दुबे ने लोकसभा में एक विवादास्पद मांग भी रखी कि संताल परगना सहित बिहार और पश्चिम बंगाल के कई जिलों को मिलाकर एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाए.

झामुमो की प्रतिक्रिया

झामुमो ने निशिकांत दुबे के इस बयान को विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा बना लिया है. पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह संताल परगना को बांटने की साजिश कर रही है. झामुमो के रणनीतिकारों ने यह तय किया है कि इस मुद्दे को निचले स्तर तक पहुंचाया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग भाजपा के इस कदम के खिलाफ खड़े हो सकें. हेमंत सोरेन भी लगातार अपनी सभाओं में भाजपा की इस कथित साजिश को प्रमुखता से उठा रहे हैं, ताकि आदिवासियों के बीच यह संदेश स्पष्ट रूप से पहुंच सके कि भाजपा उनके क्षेत्र को बांटने की योजना बना रही है.

भावनात्मक अपील का असर

हेमंत सोरेन की भावनात्मक अपील का असर संताल परगना के मतदाताओं पर साफ दिखाई दे रहा है. झामुमो इस बात की पूरी कोशिश कर रही है कि भाजपा के घुसपैठ के मुद्दे का मुकाबला संताल परगना के बंटवारे के मुद्दे से किया जाए. सोरेन यह जानते हैं कि इस क्षेत्र के आदिवासियों के लिए उनका क्षेत्र और उनकी संस्कृति बहुत मायने रखती है. इसी भावना को केंद्र में रखकर उन्होंने भाजपा की रणनीति का विरोध किया है. उनकी योजना यह है कि इस मुद्दे को न केवल सभाओं में बल्कि सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भी उठाया जाए ताकि भाजपा की घेराबंदी की जा सके.

चुनावी नतीजों पर असर

झारखंड में विधानसभा चुनावों के समीकरण इस बार काफी दिलचस्प हैं. भाजपा जहां बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को चुनावी मुद्दा बना रही है, वहीं झामुमो अपने क्षेत्रीय अस्मिता और संताल परगना के बंटवारे की बात को सामने रखकर भाजपा की इस रणनीति का मुकाबला कर रही है. भाजपा जानती है कि अगर वह संताल परगना के आदिवासी वोटों में सेंध लगा पाई, तो उसे बड़ा फायदा होगा. वहीं, झामुमो यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि भाजपा की यह योजना सफल न हो.

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