रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आदिवासी नायकों के नाम पर ओछी और प्रतीकात्मक राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि भाजपा आदिवासी नायकों के नाम का उपयोग केवल चुनावी फायदे के लिए कर रही है, जबकि उसकी नीतियाँ आदिवासी समाज के खिलाफ हैं।
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पांडेय ने कहा कि भाजपा एक ओर भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, तिलका मांझी और वीर बुधु भगत जैसे महान आदिवासी योद्धाओं का नाम लेती है, लेकिन दूसरी ओर उनके आदर्शों और बलिदानों को कुचलने का काम करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने शासनकाल में जल, जंगल और जमीन जैसे आदिवासी संसाधनों को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने की साजिश रची, जिससे आदिवासी समाज की मूलभूत समस्याओं की अनदेखी हुई।
उन्होंने 2017 के भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का हवाला देते हुए कहा कि यह कानून आदिवासियों की जमीन छीनने का प्रयास था, जिसे झामुमो और आदिवासी समाज के व्यापक विरोध के कारण रोका जा सका। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने केवल प्रतीकात्मक कार्य किए, जैसे बिरसा मुंडा की जयंती को ‘राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाना, लेकिन जमीनी स्तर पर आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई।
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भाजपा की करारी हार इस बात का स्पष्ट संकेत है कि झारखंड की जनता भाजपा की नीयत और झूठे वादों को भलीभांति पहचान चुकी है।
उन्होंने कहा, “हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में झामुमो ने सदैव आदिवासी हितों को सर्वोपरि रखा है और आगे भी भाजपा की दोहरी नीति और पाखंड को जनता के सामने उजागर करता रहेगा। आदिवासियों के हक, सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा।”