झारखंड की सरकार ने ‘बिरसा हरित ग्राम योजना’ को अपने कृषि विकास के उद्देश्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना है. इस योजना के माध्यम से, राज्य में किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में फलदार पौधों के उत्थान को भी प्रोत्साहन दिया गया है. यहां की मिट्टी में उगाए गए फलदार पौधे अब किसानों के जीवन में नई मिठास घोल रहे हैं.
योजना का परिचय:
बिरसा हरित ग्राम योजना का प्रारंभिक उद्देश्य था कि कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य में वापसी कर रहे श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं और उन्हें उनके गांवों में ही स्थायी काम की व्यवस्था हो. इसके तहत, अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फलदार पौधे लगाए गए, जिससे कि उन्हें समर्थन भी मिले और उनका जीवन स्थिर हो सके.
योजना के प्रमुख अंक:
बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत कई फायदे प्राप्त हो रहे हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं:
फलदार पौधों का उत्थान: साल 2020-21 में 25,695 एकड़ में 27,90,319 फलदार पौधे लगाए गए. साल 2021-22 में 20,648 एकड़ में 23,12,556 फलदार पौधे उगाए गए. साल 2022-23 में 20,933 एकड़ में 23,44,551 फलदार पौधे लगाए गए. साल 2023-24 में 43,388 एकड़ में 44,06,905 फलदार पौधे उगाए गए. इससे स्पष्ट होता है कि योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
लाभुकों की संख्या: साल 2020-21 में 30,023 लाभुकों ने बागवानी की. साल 2021-22 में 23,554 और साल 2022-23 में 23,470 लाभुकों ने आम के पौधे लगाए. साल 2023-24 में इस संख्या में वृद्धि हुई और 50,113 लाभुकों ने फलदार पौधों का उत्पादन किया. यह योजना न केवल आय की स्थापना करने में सहायक हुई है, बल्कि ग्रामीणों के बीच रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए हैं.
फलदार पौधों की विविधता: योजना के अंतर्गत झारखंड की मिट्टी में विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे उगाए गए हैं जैसे आम्रपाली, मल्लिका, और गुलाब खस, जिन्हें अब लोकल किसान उत्पादित कर रहे हैं. इससे न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि बाजार में भी ये फलदार पौधे प्रस्तुत हो रहे हैं, जिससे किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके.
बाजार उपलब्ध कराने की योजना:
हालांकि, योजना की सफलता के बावजूद कुछ क्षेत्रों में किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इस समस्या को समझते हुए, ग्रामीण विकास विभाग ने बाजार में ये फलदार पौधे उपलब्ध कराने की योजना बनाई है ताकि किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके और उनका जीवनाधार मजबूत हो सके.