झारखंड ने आर्थिक सुधारों के विभिन्न सूचकांकों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए नीति आयोग के राजकोषीय स्वास्थ्य इंडेक्स-2025 में चौथा स्थान हासिल किया है. यह रिपोर्ट 24 जनवरी को जारी की गई, जिसमें झारखंड के आर्थिक सुधारों और वित्तीय प्रबंधन की सराहना की गई है. 18 बड़े राज्यों में झारखंड ने अपनी स्थिति मजबूत की है, जो राज्य की बेहतर राजस्व नीति, ऋण स्थिरता और वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है.
झारखंड का प्रदर्शन: 10 पायदान की जबरदस्त छलांग
नीति आयोग की रिपोर्ट में झारखंड ने राजकोषीय स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है. वर्ष 2014-19 से 2021-22 तक राज्य की औसत रैंक 10 थी, लेकिन 2022-23 में यह सुधारकर चौथे स्थान पर पहुंच गया. यह उछाल बेहतर राजस्व प्रबंधन, वित्तीय अनुशासन और ऋण स्थिरता की बदौलत संभव हुआ है. रिपोर्ट में राज्यों के प्रदर्शन को पांच मुख्य बिंदुओं पर आंका गया—
• व्यय की गुणवत्ता
• राजस्व जुटाना
• राजकोषीय विवेकशीलता
• ऋण सूचकांक
• ऋण स्थिरता
झारखंड बना अचीवर और फ्रंट रनर राज्य
झारखंड अधिसंख्य सूचकांकों में अचीवर और फ्रंट रनर श्रेणी में शामिल हुआ है. खासकर राजकोषीय विवेक और ऋण स्थिरता में राज्य पहले स्थान पर रहा. नीति आयोग की इस रिपोर्ट में झारखंड के आर्थिक सुधारों को व्यापक मूल्यांकन के साथ सराहा गया है.
आर्थिक सुधारों के मुख्य बिंदु
• राजकोषीय विवेकशीलता सूचकांक में झारखंड पहले स्थान पर है. इसका अर्थ है कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन काफी सतर्क और अनुशासित रहा है.
• वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान स्वयं कर राजस्व की वृद्धि दर 0.65% से 26.1% के बीच रही.
• स्वयं कर और गैर-कर प्राप्तियों में क्रमशः 17.9% और 27.9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
• राजकोषीय घाटा 2022-23 में मात्र 1.1% रहा, जिससे यह साफ होता है कि राज्य की ऋण पर निर्भरता घटी है.
झारखंड की वित्तीय नीतियों का प्रभाव
राज्य में सामाजिक सेवाओं पर खर्च लगातार बढ़ा है. 2018-19 से 2022-23 के बीच सामाजिक सेवाओं का बजट बढ़ा, लेकिन आर्थिक सेवाओं का हिस्सा घटा. विशेष रूप से ब्याज भुगतान, वेतन और पेंशन पर खर्च 2018-19 में 45% था, जो 2022-23 में घटकर 43% रह गया. हालांकि इसमें मामूली गिरावट आई है, लेकिन यह प्रतिबद्ध व्यय के लचीलेपन को सीमित कर सकता है.
नीति आयोग की रिपोर्ट में शीर्ष पांच राज्य
नीति आयोग के राजकोषीय स्वास्थ्य इंडेक्स में शीर्ष पांच राज्यों की सूची इस प्रकार है—
नीति आयोग की रिपोर्ट में शीर्ष पांच राज्य और उनके स्कोर
• ओडिशा – 67.8 (प्रथम स्थान)
• छत्तीसगढ़ – 55.2 (द्वितीय स्थान)
• गोवा – 53.6 (तृतीय स्थान)
• झारखंड – 51.6 (चतुर्थ स्थान)
• गुजरात – 50.5 (पांचवां स्थान)
वित्तीय अनुशासन और राज्य की प्रगति
झारखंड सरकार ने राजकोषीय विवेकशीलता के तहत अपने वित्तीय संसाधनों का सतर्कता से उपयोग किया है. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि झारखंड राजस्व व्यय में नियंत्रण रखने में सफल रहा है. सरकार ने उधारी पर निर्भरता कम करने और आय के नए स्रोत विकसित करने की दिशा में लगातार प्रयास किए हैं.
झारखंड की आर्थिक रणनीति
• बेहतर कर संग्रह प्रणाली अपनाई गई.
• ऋण स्थिरता बनाए रखने के लिए नए सुधार लागू किए गए.
• राजकोषीय विवेकशीलता को प्राथमिकता दी गई.
• सामाजिक सेवाओं में खर्च बढ़ाया, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार हुआ.