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मंईयां सम्मान योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा, 112 महिलाओं की राशि पुरुषों ने हड़पी

रांची: महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही मंईयां सम्मान योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में 112 महिलाओं की राशि एक पुरुष द्वारा हड़प लिए जाने का मामला उजागर हुआ है। रांची जिला प्रशासन की जांच में यह खुलासा हुआ कि कार्तिक पातर नामक व्यक्ति ने अपने भाई श्रीकांत पातर के सहयोग से इस साजिश को अंजाम दिया। रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के आदेश पर कार्तिक पातर और उसके भाई श्रीकांत पातर के खिलाफ तमाड़ थाने में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम देने में श्रीकांत पातर, जो कि प्रज्ञा केंद्र का संचालक था, की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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कैसे हुआ घोटाला?

जांच में पता चला कि योजना के लाभार्थी के रूप में पंजीकृत महिलाओं के बैंक खातों के स्थान पर कार्तिक पातर के बैंक खाते को दर्ज कर दिया गया था। यह सारा कार्य श्रीकांत पातर के प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि 112 महिलाओं की मंईयां सम्मान योजना की राशि कार्तिक पातर के खाते में स्थानांतरित हो रही थी।

11 हजार गड़बड़ियां उजागर

रांची जिले में इस योजना से जुड़ी अब तक 11,000 से अधिक अनियमितताओं का खुलासा हो चुका है। जबकि कई जरूरतमंद महिलाओं को अब भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई महिलाएं योजना की राशि पाने के लिए सरकारी कार्यालयों और प्रज्ञा केंद्रों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

योजना का उद्देश्य और दुरुपयोग

मंईयां सम्मान योजना के तहत पिछली बार 4 लाख 50 हजार महिलाओं के खातों में राशि भेजी गई थी, जिससे कई जरूरतमंद महिलाओं को राहत मिली। लेकिन इस योजना में हो रही अनियमितताएं चिंताजनक हैं। प्रशासन ने इस मामले में कठोर कार्रवाई करने की बात कही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

प्रशासन की कार्रवाई

डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और महिलाओं को उनकी राशि वापस दिलाने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस योजना को पारदर्शी बनाने के लिए सभी आवश्यक सुधार किए जाएंगे। बहरहाल, इस योजना ने कई महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान लाई है, लेकिन इस तरह के घोटाले उन जरूरतमंद महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं, जिन्हें वास्तव में इस सहायता की जरूरत है।

 

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