गढ़वा जिले के रमना प्रखंड में एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मनरेगा बीपीओ प्रभु कुमार को 12 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्त नीति के तहत की गई. बीपीओ पर आरोप है कि उन्होंने डोभा निर्माण कार्य शुरू करने और उपयोगिता प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के बदले रिश्वत की मांग की थी.
क्या है पूरा मामला?
गढ़वा जिले के रमना प्रखंड में रहने वाले हरादाग कला निवासी सह पारा शिक्षक शिवशंकर राम ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी कि मनरेगा बीपीओ प्रभु कुमार ने उनसे रिश्वत मांगी है. शिकायतकर्ता शिवशंकर राम ने बताया कि उनकी मां, जितनी देवी, के नाम से डोभा निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ था. लेकिन इस काम को शुरू करने और उपयोगिता प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करवाने के लिए बीपीओ प्रभु कुमार ने 12 हजार रुपये की मांग की. शिवशंकर राम रिश्वत देने में असमर्थ थे, इसलिए उन्होंने एसीबी से शिकायत की. एसीबी ने मामले की सत्यता जांचने के बाद जाल बिछाया और जैसे ही प्रभु कुमार ने रिश्वत ली, उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया.
पहले भी हो चुकी हैं गिरफ्तारियां
गढ़वा जिले में भ्रष्टाचार के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. हरादाग कला गांव में ही दो साल पहले भी एसीबी ने बड़ी कार्रवाई की थी. उस समय बिगू चौधरी की शिकायत पर स्थानीय मुखिया प्रमिला देवी और उनके पति बृजलाल विश्वकर्मा को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था.
एसीबी की कार्रवाई से बढ़ा डर
इस ताजा कार्रवाई के बाद गढ़वा जिले के सरकारी कार्यालयों में हलचल मच गई है. एसीबी की टीम लगातार भ्रष्टाचार के मामलों पर नजर बनाए हुए है और इस तरह की छापेमारी आगे भी जारी रह सकती है. सरकारी योजनाओं में रिश्वतखोरी के बढ़ते मामलों पर शिकंजा कसने के लिए एसीबी लगातार अभियान चला रही है.
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति
झारखंड सरकार और एंटी-करप्शन ब्यूरो राज्य में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं. आम जनता को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी तरह की रिश्वत या भ्रष्टाचार से जुड़ी घटनाओं की जानकारी तुरंत एसीबी को दें. एसीबी की इस कार्रवाई से आम लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है और भ्रष्ट अधिकारियों में डर का माहौल बन गया है.