कोयले की धूल से भरी गलियों में पला-बढ़ा एक लड़का, जिसने बचपन में अपने दादा की पंचायतों में इंसाफ की बातें सुनीं, अब अमेरिका की विश्वप्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला पाकर नया इतिहास रच रहा है, नाम है– भरत नायक. झारखंड के बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड स्थित चलकरी बस्ती से ताल्लुक रखने वाले भरत नायक को अमेरिका की प्रतिष्ठित Harvard Kennedy School में Mid-Career Master in Public Administration (MC-MPA) कोर्स में एडमिशन मिला है. यह कोर्स दुनिया के टॉप पब्लिक पॉलिसी प्रोग्राम्स में गिना जाता है, जहाँ चयनित होना अपने-आप में किसी सम्मान से कम नहीं. मगर अब भरत के इस सफर की सबसे बड़ी चुनौती है – करीब 75 लाख रुपये की शैक्षणिक लागत.
खनन क्षेत्र की धूल से ज्ञान की दुनिया तक
भरत नायक का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ. उनके पिता सोमेश्वर लाल नायक कोयला क्षेत्र में कार्यरत रहे हैं. कोयले की काली धूल में लिपटी बस्ती में भरत का बचपन बीता, जहाँ ज़िन्दगी की बुनियादी जरूरतें भी संघर्षों से जुड़ी थीं. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा रांची के रामटहल चौधरी विद्यालय से ली और फिर बेरमो के कृष्णा सुदर्शन सेंट्रल स्कूल से आगे की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने एनआईटी सिलचर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की, लेकिन उनका दिल जनसेवा और सामाजिक मुद्दों की ओर खिंचता चला गया.
द लॉजिकल इंडियन: एक आंदोलन की शुरुआत
साल 2014 में भरत ने The Logical Indian की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बतौर Founding Editor, उन्होंने इस डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत की जन-आवाज़ बनाने में अग्रणी योगदान दिया. उनके नेतृत्व में यह प्लेटफॉर्म देशभर के आम लोगों की आवाज़ बना, जिसने पर्यावरण न्याय से लेकर एसिड अटैक सर्वाइवर्स, नेट न्यूट्रैलिटी और झूठी खबरों के खिलाफ सशक्त मुहिम चलाई. भरत ने 2,500 से अधिक फेक न्यूज़ का पर्दाफाश किया और 70 से ज्यादा वर्कशॉप्स के ज़रिए मीडिया साक्षरता की अलख देश-विदेश में जगाई.
अमेरिका, सिंगापुर और थॉमसन रॉयटर्स से जुड़ाव
भरत नायक को अमेरिका के इंटरनेशनल विज़िटर लीडरशिप प्रोग्राम (IVLP) में बतौर फेलो आमंत्रित किया गया. वहाँ उन्होंने दुष्प्रचार और गलत सूचना की पहचान और मुकाबले पर गहन अध्ययन किया और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, मिसौरी यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों से मुलाकात की. वे सिंगापुर इंटरनेशनल फाउंडेशन, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन, और ICFJ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के भी फेलो रह चुके हैं. फिलहाल भरत Microsoft Research के साथ AI और गलत सूचना पर सलाहकार शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं.
हार्वर्ड की राह में सबसे बड़ा रोड़ा—शिक्षा का खर्च
भरत को Harvard Kennedy School से दाखिला मिलना उनके अथक परिश्रम और जुनून का प्रमाण है. मगर अब ₹75 लाख से अधिक की शैक्षणिक और रहने की लागत उनके सामने एक दीवार बनकर खड़ी है. एक सामाजिक पत्रकार के लिए यह राशि जुटाना बेहद कठिन है. इसलिए भरत अब देश से, समाज से, और आप सबसे सहयोग की अपील कर रहे हैं.
“ये सिर्फ मेरी यात्रा नहीं, हर उस बच्चे की उम्मीद है जो कोने में बैठकर सपने देखता है”- भरत
भरत मानते हैं कि उनका हार्वर्ड जाना सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के छोटे गांवों में बैठे उन हजारों युवाओं की उम्मीद है, जो बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं. वे चाहते हैं कि हार्वर्ड से लौटकर भारत में गवर्नेंस सुधार, नीति निर्माण, जलवायु परिवर्तन और गलत सूचना के खिलाफ मजबूत योजनाएँ बनाएं और हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ को मंच दें.
क्राउडफंडिंग से बन सकता है सपना हकीकत
भरत ने Ketto.org पर एक क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया है, जहाँ वे हर नागरिक से आर्थिक सहयोग की अपील कर रहे हैं. चाहे आपका योगदान ₹100 का हो या ₹10,000 का—हर मदद उनके इस सफर को संभव बना सकती है.
डोनेशन लिंक:
https://www.ketto.org/fundraiser/Support-Bharat-Harvard-Education
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Contact Number- +91-8553329298
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