संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है. झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को सुनवाई की. केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि बांग्लादेशियों की घुसपैठ से इलाके की डेमोग्राफी (जनसंख्या संरचना) पर बुरा असर पड़ रहा है. हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को तय की है और राज्य सरकार को घुसपैठियों की पहचान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.
केंद्र सरकार की बड़ी चिंता: इलाके की डेमोग्राफी पर असर
झारखंड हाईकोर्ट में संथाल परगना में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर एक बार फिर सुनवाई हुई. केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया, तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशियों की घुसपैठ की स्थिति चिंताजनक है. घुसपैठ के कारण इलाके की डेमोग्राफी प्रभावित हो रही है और आदिवासी आबादी का प्रतिशत घट रहा है. तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि घुसपैठियों के कारण झारखंड के रास्ते देश के अन्य राज्यों में भी आबादी प्रभावित हो सकती है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अपने सभी संबंधित विभागों जैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के साथ विचार-विमर्श कर रही है और जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी. इसके साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि आईबी को प्रतिवादी की सूची से हटाया जाए, क्योंकि उसके पास गोपनीय सूचनाएं होती हैं जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.
झारखंड हाईकोर्ट के सख्त निर्देश: घुसपैठियों की पहचान में लाएं तेजी
हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि संथाल परगना में घुसपैठियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए स्पेशल ब्रांच की मदद लें. इसके अलावा, कोर्ट ने संथाल परगना प्रमंडल के सभी छह जिलों के उपायुक्तों को आदेश दिया कि वे लैंड रिकॉर्ड्स की जांच के बिना आधार, राशन, वोटर और बीपीएल कार्ड जारी न करें. कोर्ट ने कहा कि जिन दस्तावेजों के आधार पर राशन, वोटर या आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं, उनकी वैधता पर सवाल उठ सकते हैं, और इससे राज्य की जनकल्याणकारी योजनाओं में भी हकमारी हो सकती है.
जनसंख्या में बदलाव और मदरसों की बढ़ती संख्या
इस जनहित याचिका को जमशेदपुर के दानियल दानिश ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि झारखंड के सीमावर्ती जिलों जैसे जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज आदि से बांग्लादेशी घुसपैठिए बड़ी संख्या में आ रहे हैं, जिससे इन इलाकों की जनसंख्या संरचना में बदलाव हो रहा है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इन जिलों में मदरसों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और स्थानीय आदिवासियों के साथ बांग्लादेशियों के वैवाहिक संबंध बनाए जा रहे हैं, जिससे आदिवासी संस्कृति और जनसंख्या संरचना पर भी असर पड़ रहा है.
आदिवासी आबादी में आई गिरावट
याचिका में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 1951 में संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी 44.67 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28.11 प्रतिशत रह गई. इसका प्रमुख कारण बांग्लादेशी घुसपैठ बताया गया है. अगर इस घुसपैठ को नहीं रोका गया, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है.
आगे की कार्यवाही और सरकार की तैयारी
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को तय की है. कोर्ट ने राज्य सरकार से घुसपैठियों की पहचान सुनिश्चित करने और इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. केंद्र सरकार भी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जल्द दाखिल करेगी, जिसमें सभी संबंधित विभागों के इनपुट शामिल होंगे.