झारखंड में नगर निकाय चुनावों की देरी से राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. केंद्र सरकार ने चुनाव न होने की वजह से वित्त आयोग की अनुशंसा पर झारखंड को मिलने वाले अनुदान पर रोक लगा दी है. शहरी निकायों के विकास के लिए झारखंड को करीब 1600 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि अनुदान राशि रोकी न जाए और ट्रिपल टेस्ट पूरा होने के बाद चुनाव संपन्न कराने का आश्वासन दिया है. हालांकि, केंद्र से अभी तक न तो राशि जारी की गई है और न ही कोई जवाब प्राप्त हुआ है.
2020 से लंबित नगर निकाय चुनाव
झारखंड में नगर निकाय चुनाव वर्ष 2020 से लंबित हैं. इस देरी का सीधा असर शहरी विकास और नागरिक सुविधाओं पर पड़ा है. शहरी निकायों के लिए वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर केंद्र सरकार से अनुदान स्वीकृत होता है. यह राशि शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों को विकसित करने में खर्च की जाती है.
ओबीसी आरक्षण और ट्रिपल टेस्ट का मामला
नगर निकाय चुनावों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य कर दिया है. बिना ट्रिपल टेस्ट के चुनाव कराने का विकल्प राज्य सरकार के पास है, लेकिन सरकार ऐसा करके ओबीसी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में स्पष्ट किया है कि चुनाव ट्रिपल टेस्ट के बाद ही कराए जाएंगे. हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने की तैयारी पहले ही पूरी कर ली थी. बूथों का गठन, सुरक्षा बलों की व्यवस्था, ईवीएम मशीन और स्याही की आपूर्ति जैसे इंतजाम किए जा चुके थे. इसके बावजूद सरकार ने चुनाव टालने का फैसला लिया.
आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त, ट्रिपल टेस्ट लटका
ट्रिपल टेस्ट कराने की जिम्मेदारी झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की है. लेकिन आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद के मंत्री बनने के बाद यह पद खाली हो गया. अब नए अध्यक्ष की नियुक्ति तक ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया रोक दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि ट्रिपल टेस्ट के बिना चुनाव कराना संभव नहीं है. इस वजह से झारखंड में निकाय चुनावों का मामला और उलझ गया है.
हाईकोर्ट का निर्देश भी बेअसर
जनवरी 2024 में झारखंड हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया था. लेकिन राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा कि यह ट्रिपल टेस्ट के बिना संभव नहीं है. ऐसे में चुनाव की तारीखों को लेकर असमंजस बना हुआ है.
शहरी निकायों का कार्यकाल समाप्त
झारखंड के 13 नगर निकायों में वर्ष 2020 से चुनाव लंबित हैं. इसके अलावा, 35 अन्य शहरी निकायों का कार्यकाल मार्च-अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है. संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार, नगर निकायों में समय पर चुनाव न कराना स्थानीय निकायों को कमजोर करने के समान है.
विकास कार्यों पर पड़ा असर
वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर मिलने वाले अनुदान की अनुपस्थिति से शहरी विकास और नागरिक सुविधाओं का काम ठप हो गया है. राज्य को इस अनुदान की तत्काल आवश्यकता है ताकि शहरों में आधारभूत संरचना और सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके.
राज्य सरकार की दुविधा
राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर सहायता राशि जारी करने का आग्रह किया है. सरकार ने आश्वासन दिया है कि ट्रिपल टेस्ट के बाद चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे. लेकिन केंद्र से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.