रिम्स में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) की एंट्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन ने एक नोटिस जारी कर यह स्पष्ट किया है कि यदि एमआर ओपीडी या वार्ड में पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एमआर की गतिविधियों पर शिकायतें मिलने के बाद कार्रवाई
अस्पताल प्रबंधन को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि एमआर अस्पताल परिसर में दवा के अवैध व्यापार में लिप्त हैं। वे वार्ड तक पहुंचकर अपनी दवाओं का प्रचार कर रहे थे और मरीजों को सीधे दवाएं सप्लाई कर रहे थे। इन गतिविधियों के कारण मरीजों और अस्पताल की व्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सा अधीक्षक ने एमआर की एंट्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
केवल अमृत फार्मेसी और जन औषधि केंद्र से दवाएं खरीदने का निर्देश
अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अमृत फार्मेसी और भारतीय जन औषधि केंद्र से ही दवा खरीदने का आग्रह किया है। साथ ही, वार्डों में दवाओं का पूरा स्टॉक रखने के निर्देश भी दिए गए हैं ताकि किसी भी स्थिति में दवाओं की कमी न हो।
पूर्व में केवल शनिवार को मिलने की थी अनुमति
पहले एमआर को डॉक्टरों से मिलने के लिए केवल शनिवार को ओपीडी के बाद अनुमति दी गई थी। लेकिन यह नियम प्रभावी नहीं हो पाया और एमआर पूरे सप्ताह अस्पताल में सक्रिय रहते थे, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।
रजिस्ट्रेशन पोर्टल अपग्रेडेशन का काम जारी
इसी बीच, अस्पताल के रजिस्ट्रेशन पोर्टल को अपग्रेड किया जा रहा है। एनआईसी द्वारा संचालित ई-हॉस्पिटल पोर्टल को नेक्स्टजेन हॉस्पिटल पोर्टल में शिफ्ट किया गया है। शुक्रवार को हस्तांतरण प्रक्रिया देर रात तक जारी रही, जिससे ओपीडी रजिस्ट्रेशन और बिलिंग सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं।
प्रबंधन का उद्देश्य
यह कदम अस्पताल में सुव्यवस्था बनाए रखने और मरीजों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। एमआर की गतिविधियों पर रोक और नई व्यवस्थाओं के लागू होने से मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है।