भाजपा को छोड़ भाजमो में शामिल होंगे बहरागोड़ा पूर्व विधायक “कुणाल षाड़ंगी”…

भाजपा से इस्तीफा देने वाले बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी जल्द ही पूर्व मंत्री सरयू राय की पार्टी भारतीय जनमोर्चा (भाजमो) में शामिल हो सकते हैं. ऐसी चर्चा है कि कुणाल की जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के साथ बैठक हुई है.

भाजमो के टिकट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव

सूत्रों के अनुसार, सरयू राय ने कुणाल को बहरागोड़ा सीट से भाजमो के टिकट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है. कुणाल ने पहले ही बहरागोड़ा से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, और यह प्रस्ताव उनके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.

कुणाल का राजनैतिक सफर

कुणाल षाड़ंगी ने अपना राजनैतिक सफर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से शुरू किया था. 2014 में झामुमो के टिकट पर बहरागोड़ा से विधायक चुने गए थे. 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले, उन्होंने भाजपा का दामन थामा और उन्हें प्रदेश प्रवक्ता का पद मिला. भाजपा के टिकट पर उन्होंने 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो सके.

भाजपा से नाराजगी

कुणाल षाड़ंगी जमशेदपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इससे वे नाराज हो गए और रविवार को भाजपा से इस्तीफा दे दिया. सोमवार को उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर अपने दर्द का इज़हार करते हुए भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि भाजपा में ‘आपसी ईर्ष्या’, ‘निम्न स्तर की गुटबाजी’, ‘युवाओं के लिए नकारात्मकता’, ‘चापलूसी’ और ‘जरूरतमंदों के प्रति उदासीनता’ जैसी समस्याएं हैं. कुणाल ने अपने ट्वीट में कहा, “भाजपा में सिर्फ जनाधार विहीन नेताओं का महिमामंडन होता है और जमीनी कार्यकर्ता उपेक्षित रहते हैं.”

भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप

कुणाल ने अपने ट्वीट में लिखा, “कई सालों बाद आज असहजता, दांव पेंच, आपसी ईर्ष्या , बेहद निम्न स्तर की गुटबाज़ी, युवाओं के लिए नकारात्मकता और लगातार उनके खिलाफ साज़िशें, चापलूसी, जरूरतमंदों से जुड़े मुद्दों पर काम करने और मेहनत की जगह चंद जनाधार वीहिन नेताओं का महिमामंडन व परिक्रमा कर आगे बढ़ने व मंच पर कुर्सी पकड़ने की मानसिकता जैसे बंधनों से मुक्त पहली सुबह की बात ही कुछ और है.”

सरयू राय के साथ जाने की मजबूरी

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कुणाल के लिए अपनी पुरानी पार्टी झामुमो में लौटने की संभावना नहीं है, क्योंकि बहरागोड़ा से वर्तमान विधायक समीर मोहंती झामुमो के हैं. ऐसे में भाजपा छोड़ने के बाद उनके सामने विकल्प के रूप में कोई तीसरी पार्टी ही हो सकती है.

भाजमो और कुणाल की संभावनाएं

भाजमो ने इस बार विधानसभा चुनाव में 30 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का एलान किया है. पार्टी का मकसद राज्य में एक मजबूत तीसरा मोर्चा खड़ा करना है. ऐसे में भाजमो और कुणाल एक-दूसरे के लिए जरूरी साबित हो सकते हैं. कुणाल का राजनीतिक अनुभव और जनाधार भाजमो के लिए फायदेमंद हो सकता है, वहीं भाजमो का टिकट कुणाल के लिए एक नई शुरुआत का मौका हो सकता है.

भविष्य की राजनीति

कुणाल षाड़ंगी के भाजपा से इस्तीफा देने और सरयू राय के साथ संभावित गठबंधन से झारखंड की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। अगर कुणाल भाजमो में शामिल होते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि वे बहरागोड़ा में अपने पुराने जनाधार को कैसे फिर से संगठित करते हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में क्या परिणाम हासिल करते हैं.

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