बाबूलाल मरांडी का तंज: गरीबों की चीनी डकार गई हेमंत सरकार, बढ़ा रहा भ्रष्टाचार का स्वाद…..

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. इस बार उन्होंने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. मरांडी ने दावा किया है कि राज्य की सरकार गरीब परिवारों को मिलने वाली चीनी को हड़प गई है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से दो तीखे सवाल पूछकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया.

खाद्य सुरक्षा पर बाबूलाल मरांडी का बड़ा आरोप

बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखकर झारखंड में खाद्य सुरक्षा की खराब स्थिति पर सवाल उठाए. उन्होंने लिखा कि झारखंड में करीब 9 लाख गरीब परिवारों को मिलने वाली चीनी हेमंत सरकार “डकार” गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीते तीन सालों (जनवरी 2022 से दिसंबर 2024) के दौरान केवल 24 महीनों में ही चीनी का वितरण किया गया. 2022 में तो राज्य के कई जिलों में एक बार भी चीनी नहीं बांटी गई. मरांडी ने आगे बताया कि इस साल भी राज्य के कई हिस्सों में सिर्फ 37.66% परिवारों को ही चीनी उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति गरीब परिवारों के साथ बड़ा अन्याय है और हेमंत सरकार की नाकामी को उजागर करती है.

हेमंत सरकार से पूछे दो सवाल

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से सोशल मीडिया पर दो सीधे सवाल पूछे. उन्होंने लिखा:

• “आखिर कब तक गरीबों के हक का राशन बाजारों में बेचा जाएगा?”

• “आखिर कब तक गरीबों की थाली की मिठास छीनकर उन्हें भ्रष्टाचार का कड़वा घूंट परोसा जाएगा?”

मरांडी का यह सवाल राज्य में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताओं की ओर इशारा करता है. उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए जनता के प्रति जवाबदेही की मांग की.

चीनी वितरण की गंभीर स्थिति

मरांडी ने अपनी पोस्ट में बताया कि झारखंड के कई जिलों में 2022 में एक बार भी चीनी नहीं बांटी गई. जिन जिलों में वितरण हुआ भी, वहां यह प्रक्रिया अधूरी रही. 2024 में भी चीनी का वितरण केवल 37.66% गरीब परिवारों तक ही सीमित रहा. उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि गरीबों के हिस्से की चीनी आखिर कहां जा रही है.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

बाबूलाल मरांडी के इस पोस्ट पर सोशल मीडिया, खासकर ‘एक्स’ पर बहस छिड़ गई. कई यूजर्स ने इस मुद्दे पर मजेदार टिप्पणियां कीं.

• नवीन नामक एक यूजर ने लिखा, “चीनी खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है.

• डोंका लागुरी नाम के एक यूजर ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्र के लोग चीनी केवल त्योहारों में इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि चीनी से शुगर होता है.

• एक अन्य यूजर एजे टुड्डू ने लिखा, “झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सरकार को पता है कि यहां के लोग देसी शराब का सेवन करते हैं, तो चीनी की जरूरत ही क्या है?”

इन टिप्पणियों से यह साफ जाहिर होता है कि जनता इस मुद्दे पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दे रही है.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी

बाबूलाल मरांडी के इस आरोप ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है. भाजपा ने इसे हेमंत सरकार की असफलता करार दिया है. वहीं, झामुमो ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. भाजपा का कहना है कि सरकार गरीबों के प्रति लापरवाह है और भ्रष्टाचार में लिप्त है.

खाद्य सुरक्षा का संकट

खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर झारखंड पहले भी चर्चा में रहा है. गरीब परिवारों को राशन वितरण में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं. भाजपा इस मुद्दे को बार-बार उठाकर हेमंत सरकार को घेरने की कोशिश करती रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×