झारखंड की राजनीति में इस समय उथल-पुथल मची हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा हमला किया है. अपने हालिया बयान में मरांडी ने आरोप लगाया कि सोरेन अपनी कुर्सी खिसकती देख घबरा गए हैं. भाजपा के झारखंड नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा, “हेमंत सोरेन स्पष्ट रूप से घबराए हुए हैं. वह अपनी कुर्सी को खिसकते हुए देख नहीं पा रहे हैं और इसे संभाल नहीं पा रहे हैं.“ यह तीखी आलोचना हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और राज्य प्रशासन में बढ़ते असंतोष के बीच आई है.
हेमंत सोरेन का कार्यकाल और विवाद
हेमंत सोरेन, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हैं, 2019 से झारखंड के मुख्यमंत्री हैं. उनका कार्यकाल विभिन्न विवादों और चुनौतियों से भरा रहा है. सोरेन की सरकार को COVID-19 महामारी से निपटने, भ्रष्टाचार के आरोपों और कानून-व्यवस्था से संबंधित मुद्दों पर आलोचना का सामना करना पड़ा है. हाल ही में, सत्तारूढ़ गठबंधन, जिसमें झामुमो, कांग्रेस और राजद शामिल हैं, के भीतर आंतरिक संघर्ष की खबरें आई हैं. इन तनावों ने विपक्षी भाजपा को सरकार की आलोचना करने और बदलाव की मांग करने का मौका दिया है.
आरोप और प्रत्यारोप
मरांडी की ताजा टिप्पणियां भाजपा की ओर से सोरेन सरकार के खिलाफ आरोपों की बड़ी श्रृंखला का हिस्सा हैं. भाजपा ने बार-बार मौजूदा प्रशासन को भ्रष्ट और अक्षम बताया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सोरेन झारखंड के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं. इसके जवाब में, सोरेन ने भाजपा पर अपनी सरकार को अस्थिर करने के प्रयास करने का आरोप लगाया है, जिसमें झूठी जानकारी फैलाना और अशांति को भड़काना शामिल है. उन्होंने अपनी सरकार के रिकॉर्ड का बचाव करते हुए राज्य में बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए की गई पहलों की ओर इशारा किया है.
राजनीतिक प्रभाव
झारखंड में राजनीतिक माहौल बढ़ती बयानबाजी के साथ और अधिक तनावपूर्ण हो रहा है. मरांडी की “खिसकती कुर्सी” वाली टिप्पणी से यह संकेत मिलता है कि भाजपा सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ आक्रामक अभियान की तैयारी कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की रणनीति अगला चुनाव नजदीक आने से पहले झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार को कमजोर करना है. मौजूदा प्रशासन की कथित विफलताओं और विवादों को उजागर करके भाजपा जनता की राय को अपने पक्ष में करना चाहती है.
जनता की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएं
इन राजनीतिक कदमों पर जनता की प्रतिक्रिया मिली-जुली है. कुछ नागरिक सोरेन की विभिन्न मुद्दों से निपटने के तरीके की आलोचना करते हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि भाजपा राजनीति कर रही है बजाय इसके कि वे रचनात्मक समाधान पेश करें. चल रही बयानबाजी ने निश्चित रूप से झारखंड के मतदाताओं का ध्यान खींचा है. जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, यह देखना बाकी है कि ये राजनीतिक गतिशीलता कैसे खेली जाएगी. अगले कुछ महीने सोरेन और मरांडी दोनों के लिए महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि वे झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य की जटिलताओं को नेविगेट करते हैं.