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हेमंत सरकार पर बाबूलाल मरांडी का हमला: संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बनाने का आरोप……

झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को जानबूझकर पंगु बनाने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने शुक्रवार को रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं है और वह संवैधानिक संस्थाओं में खाली पड़े पदों को भरने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.

वर्षों से खाली हैं महत्वपूर्ण पद

मरांडी ने अपनी प्रेस वार्ता में बताया कि झारखंड में लोकायुक्त, महिला आयोग, सूचना आयोग और उपभोक्ता फोरम जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं में वर्षों से अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली हैं. उन्होंने कहा कि इन पदों के खाली रहने से न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर असर पड़ा है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई भी ठप हो गई है. मरांडी ने कहा, “राज्य सरकार जिन संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत बनाकर पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए, उन्हें ही पंगु बनाकर रखा गया है. इससे साफ होता है कि सरकार नहीं चाहती कि उसकी नाकामियां और भ्रष्टाचार उजागर हों.”

सूचना आयोग में 5000 से अधिक मामले लंबित

भाजपा नेता ने जानकारी दी कि राज्य सूचना आयोग में 2020 से ही सूचना आयुक्त का पद खाली पड़ा है, जिसके कारण वहां 5000 से अधिक मामले लंबित हैं. इससे आम जनता को सूचना का अधिकार मिलने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार को मजबूत करने के लिए सूचना आयोग जैसे संस्थानों की स्थापना की है, तो झारखंड सरकार क्यों इस पर चुप्पी साधे बैठी है? क्या वह नहीं चाहती कि जनता को सही समय पर सूचना मिले?

महिला आयोग भी है निष्क्रिय

महिला आयोग को लेकर भी मरांडी ने सरकार पर गंभीर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि महिला आयोग में पिछले चार वर्षों से अध्यक्ष और सदस्य का पद खाली है. ऐसे में महिलाओं से जुड़ी शिकायतों का न तो समाधान हो पा रहा है और न ही महिलाओं को न्याय मिल पा रहा है..उन्होंने यह भी बताया कि महिला आयोग में हजारों शिकायतें लंबित पड़ी हैं और कोई अधिकारी नहीं होने के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है. यह महिलाओं के साथ अन्याय है और उनके अधिकारों का हनन है.

लोकायुक्त की गैरमौजूदगी पर भी उठाए सवाल

मरांडी ने लोकायुक्त की गैरमौजूदगी पर भी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि जब राज्य में लोकायुक्त ही नहीं होगा तो भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज कैसे होंगी और उन पर कार्रवाई कौन करेगा? उन्होंने बताया कि लोकायुक्त का पद लंबे समय से खाली पड़ा है, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे. भाजपा नेता ने कहा, “राज्य सरकार की नीयत पर अब सवाल उठने लगे हैं. यदि वह ईमानदारी से शासन करना चाहती है, तो सबसे पहले इन संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करे. इन संस्थानों का निष्क्रिय होना सरकार की विफलता और भ्रष्टाचार को उजागर करता है.”

विपक्ष के नेता को लेकर भी किया खुलासा

प्रेस वार्ता में मरांडी ने एक और मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार पहले विपक्ष के नेता की गैरमौजूदगी का बहाना बनाकर नियुक्तियां नहीं कर रही थी, जबकि भाजपा ने समय पर नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर दी थी. ऐसे में अब यह तर्क भी अस्वीकार्य है. उन्होंने साफ कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है और वह संवैधानिक संस्थाओं को इसलिए पंगु बनाकर रखना चाहती है ताकि उसकी नाकामियां और भ्रष्टाचार जनता तक न पहुंच सके.

तत्काल नियुक्तियों की मांग

बाबूलाल मरांडी ने प्रेस वार्ता के अंत में राज्य सरकार से यह मांग की कि वह अविलंब सभी संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त पड़े पदों को भरे. विशेषकर लोकायुक्त, महिला आयोग और सूचना आयोग जैसे संस्थानों में अध्यक्ष और सदस्यों की तत्काल नियुक्ति की जाए, ताकि इन संस्थानों के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके और जनता को न्याय मिल सके. उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन नियुक्तियों को और टालती है तो भाजपा इस मुद्दे को लेकर राज्यभर में आंदोलन छेड़ेगी.

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