झारखंड में चल रहे राजनीतिक घमशान के बीच राजभवन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने के मामले में अबतक कोई फैसला नहीं लिया है। वहीं आफिस आफ प्राफिट मामले में हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद होना तो पूरी तरह से तय है लेकिन इस मामले पर आज यानी शनिवार को भी राज्यपाल रमेश बैस ने चुप्पी साध रखी है। मीडिया सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि इसमें अभी दो-तीन दिनों का और समय लग सकता है। हालांकि आयोग की अनुशंसा के बाद भी सदस्यता रद करने में इतनी देरी हो रही है, जिसपर राजभवन की ओर से अबतक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
राजभवन के फैसले में और कितनी देर..
बात दें कि शुक्रवार तक राजभवन में जो गतिविधियां हुई थीं उसके हिसाब से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि शनिवार को सीएम हेमंत की सदस्यता रद्द करने का राज्यपाल का आदेश निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा और आयोग ही सदस्यता रद होने की अधिसूचना जारी कर देगा। वहीं आज भी कोई फैसला नहीं आने के बाद यही अनुमान लगाया जा रहा है कि राजभवन इसमें कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहता। हालांकि सभी की नजरें अब राजभवन और आयोग के अधिकृत फैसले पर टिकी हुई हैं।
बाबूलाल मरांडी संभाल सकते है भाजपा की कमान..
वहीं दूसरी तरफ तीन दिनों से जारी अनिश्चितता के दौरान भाजपा नई रणनीति बनाने में लगी हुई है। बीजेपी ने आदिवासी मुद्दे पर संभलकर चलने का निर्णय कर लिया है। साथ ही बाबूलाल मरांडी के कद को देखते हुए उन्हें ही आगे कर पार्टी हेमंत सोरेन पर निशाना साधने में लगी हुई है। बात दें कि मुख्यमंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए कहा कि सीएम ने झारखंड को लूट का चारागाह बना दिया है। वहीं बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस मामले में प्रदेश नेतृत्व को मरांडी को आगे रखने की सलाह दी है। बात दें कि राज्यपाल के फैसले के बाद अगर झारखंड की सरकार में कोई बड़ा फेरबदल नहीं होता है तो पार्टी संगठन का संपूर्ण कार्यभार बाबूलाल मरांडी को सौंप सकती है। वहीं राज्य के कुछ नेताओं का मानना हैं कि चुनाव आयोग और राज्यपाल के फैसले के बाद झारखंड में हेमंत सोरेन का सरकार में बने रहना मुश्किल भरा हो सकता है। ऐसे में फिलहाल राज्यपाल के फैसले पर ही सभी की नजरें टिकी हुई हैं।