रिम्स में दवाओं की कृत्रिम कमी? बाबूलाल मरांडी का गंभीर आरोप

रांची। झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रिम्स में जानबूझकर आवश्यक दवाओं की कमी पैदा की जा रही है, जिससे गरीब मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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मरांडी ने कहा कि लंबे समय से रिम्स में जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण मरीजों को मजबूरन अस्पताल के आसपास स्थित निजी मेडिकल दुकानों से महंगे दामों पर दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि ये दुकानें हाल के कुछ वर्षों में ही खुली हैं और रिम्स के ठीक पास स्थित हैं।

“संगठित मेडिकल माफिया सक्रिय”

मरांडी ने आरोप लगाया कि रिम्स प्रबंधन और निजी दवा दुकानदारों के बीच एक संगठित ‘मेडिकल माफिया’ सक्रिय है, जिसे राज्य सरकार का भी संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि यह एक गहरी साजिश है, जिसके जरिए गरीब और जरूरतमंद मरीजों को शोषण का शिकार बनाया जा रहा है।

“सरकार ले कठोर कार्रवाई”

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांग की कि वह इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी अस्पतालों में दवाएं नहीं होंगी, तो आम जनता का भरोसा सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था से उठ जाएगा।

“रिम्स की साख बचाना जरूरी”

मरांडी ने कहा कि रिम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की साख को बचाए रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि वह जल्द से जल्द रिम्स में दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करे और मेडिकल माफियाओं पर नकेल कसे।

इस पूरे मामले पर रिम्स प्रबंधन और राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मरांडी के इस आरोप के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।

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