भारतीय रेलवे ने झारखंड में ट्रेन सुरक्षा को मजबूत करने के लिए रेल सुरक्षा कवच लगाने की मंजूरी दे दी है. इस अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक को लागू करने से राज्य में ट्रेन दुर्घटनाओं की संभावना काफी कम हो जाएगी. झारखंड से गुजरने वाली 1,693 किलोमीटर रेलवे लाइनों पर कवच लगाने की मंजूरी मिल चुकी है, जिसमें 400 किलोमीटर रेल खंड पर कवच लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
क्या है रेल सुरक्षा कवच?
रेलवे सुरक्षा कवच एक एडवांस सिस्टम है, जो रेल ट्रैक और इंजन को आपस में जोड़कर ट्रेनों की गति, सिग्नल और सुरक्षा की निगरानी करता है. इससे ट्रेनों की टक्कर की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है और लोको पायलट को खराब मौसम में भी ट्रेन संचालन में मदद मिलती है.
रेल सुरक्षा कवच के फायदे:
• ट्रेनों के टकराने की संभावना को बहुत कम करता है.
• खराब मौसम में लोको पायलट को सुरक्षित संचालन में मदद करता है.
• यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में असमर्थ होता है तो सिस्टम खुद ही ट्रेन रोक देता है.
• रेल क्रॉसिंग (एलसी गेट्स) के पास आते ही यह स्वतः हार्न बजाना शुरू कर देता है.
• लोको पायलट की लापरवाही या सिग्नल की अनदेखी की स्थिति में ट्रेन अपने आप रुक जाती है.
रेलवे मंत्रालय ने अब तक इस तकनीक के लिए 1,216 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. पूरे देश में 1,465 किलोमीटर ट्रैक और 139 इंजनों पर यह सिस्टम पहले ही लागू किया जा चुका है. अब दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्गों पर भी इसे इंस्टॉल किया जा रहा है. झारखंड में लागू करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, जिससे राज्य की रेल यात्रा और अधिक सुरक्षित होगी.
झारखंड में कवच लगाने की प्रक्रिया
भारतीय रेलवे ने झारखंड में 1,693 किलोमीटर रेलवे लाइनों को कवच से लैस करने की मंजूरी दे दी है. वर्तमान में 400 किलोमीटर के रेल खंड पर कवच लगाने की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है. यह सुरक्षा प्रणाली विशेष रूप से तेज रफ्तार ट्रेनों के लिए बनाई गई है, ताकि लोको पायलट की गलती या किसी भी तकनीकी खराबी की स्थिति में ट्रेन को स्वतः रोका जा सके.
65 इंजनों पर कवच सिस्टम इंस्टॉल
भारतीय रेलवे ने देशभर में 13,000 से अधिक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजनों को इस तकनीक से लैस करने की योजना बनाई है. अब तक 65 इंजनों में यह सिस्टम सफलतापूर्वक इंस्टॉल हो चुका है और धीरे-धीरे इसे अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जा रहा है.
झारखंड को जल्द मिलेगा वंदे भारत का स्लीपर वर्जन
रेलवे सुरक्षा के साथ-साथ यात्री सुविधाओं में भी सुधार किया जा रहा है. झारखंड को जल्द ही वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की सौगात मिलने वाली है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही झारखंड के यात्रियों को यह सुविधा उपलब्ध होगी.
रेलवे नेटवर्क का विस्तार और नई ट्रेनों की योजना
रेलवे मंत्रालय देशभर में आधुनिक ट्रेनों के नेटवर्क को तेजी से बढ़ा रहा है. अगले एक साल में पूरे देश में 200 वंदे भारत ट्रेनें, 100 अमृत भारत ट्रेनें और 50 नमो भारत ट्रेनें चलाने की योजना बनाई गई है. इनमें एसी और स्लीपर दोनों प्रकार की सेवाएं उपलब्ध होंगी, जिससे यात्रियों को आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा.
झारखंड में वर्तमान में चल रही वंदे भारत ट्रेनें
फिलहाल, रांची से तीन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन हो रहा है:
• रांची-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस
• रांची-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस
• रांची-वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस
इसके अलावा, झारखंड से गुजरने वाली 12 वंदे भारत ट्रेनें अन्य राज्यों को जोड़ती हैं. ये ट्रेनें प्रदेश के 22 रेलवे स्टेशनों पर रुकती हैं और 14 जिलों से होकर गुजरती हैं.