सोमवार को झारखंड विधानसभा के स्पीकर न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दर्ज चार मामलों पर सुनवाई हुई है । पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी ने जनादेश का अपमान किया है | जिसके तहत यह मामला दसवीं अनुसूची से संबंधित है, इसलिए उनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। हालांकि , सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी की ओर से उनके अधिवक्ता आरएन सहाय ने जारी नोटिस के जवाब में स्पीकर न्यायाधिकरण में लिखित जवाब दाखिल किया। वहीं, पूर्व विधायक राजकुमार यादव के पक्ष की ओर से प्रदीप यादव व बंधु तिर्की के अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया, दीपिका पांडेय सिंह की ओर से अधिवक्ता सत्यम परमार और पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने खुद अपना पक्ष रखा। स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने सभी का पक्ष सुनने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी |
जानकारी के अनुसार 2019 के विधानसभा चुनाव में झाविमो के तीन विधायक बाबूलाल मरांडी और उनके सहयोगी प्रदीप यादव व बंधु तिर्की चुनाव जीतकर आए थे। लेकिन ,बाबूलाल मरांडी ने अपने सहयोगी विधायकों की सहमति के बिना भाजपा में शामिल हो गए।इसीलिए यह मामला दसवीं अनुसूची के अंदर आता है। इसके तहत दसवीं अनुसूची में साफ़ है कि विलय के लिए दो तिहाई विधायकों की सहमति होना आवश्यक है। यह प्रावधान इसलिए किया गया है कि जनप्रतिनिधि जनता के प्रति समर्पित रहे। इसी मामले के तहत बाबूलाल मरांडी पर पांच केस दर्ज़ है | बीते सोमवार को न्यायाधिकरण में चारों मामले की सुनवाई एक-एक घंटे के अंतराल पर हुई थी | सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने काम शब्दों में अपना पक्ष रखा | हालांकि,सुनवाई के दौरान बहस की नौबत नहीं आई। बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता की ओर से दाखिल जवाब पर अपना पक्ष रखने के लिए पूर्व विधायक राजकुमार यादव के पक्ष के अधिवक्ताओं से समय मांगा गया | जिसे स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने स्वीकार कर लिया। अधिवक्ताओं ने स्पीकर से अनुरोध किया कि चारों मामले एक ही तरह के हैं, इसीलिए इन्हें क्लब कर लिया जाए। इस पर स्पीकर ने विचार का भरोसा दिलाया। हालांकि , राजकुमार यादव ने सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं से अलग अपनी बात खुलकर रखी।
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर न्यायाधिकरण में दर्ज पांच में से चार मामलों में सुनवाई हुई। यह मामला धनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव, गुमला विधायक भूषण तिर्की, दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव व बंधु तिर्की के आवेदन पर दर्ज हुए हैं। जैसा की तय माना जा रहा था कि स्पीकर के स्वत: संज्ञान मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। विधानसभा की ओर से उच्च न्यायालय में शपथपत्र दाखिल कर पूर्व में ही यह बताया जा चुका है कि न्यायाधिकरण में इस मामले की सुनवाई नहीं होगी।