रांची स्मार्ट सिटी में अपोलो का 310 बेड हॉस्पिटल, सीएम करेंगे शिलान्यास….

रांची स्मार्ट सिटी में सोमवार को अपोलो ग्रुप के 310 बेड के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का शिलान्यास होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोपहर 12 बजे इस अस्पताल की आधारशिला रखेंगे. यह अस्पताल 2.75 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा, जिसे रांची नगर निगम ने एक रुपए टोकन मनी पर अपोलो ग्रुप को दिया है. इस अस्पताल के निर्माण में दो साल का समय लगेगा. हॉस्पिटल बनने के बाद यहां विभिन्न अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिनमें गैस्ट्रोसाइंसेज, न्यूरो साइंसेज, रीनल साइंसेज, ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, और ऑन्कोलॉजी जैसे विभाग प्रमुख होंगे. खास बात यह है कि अस्पताल में आईपीडी के 7.50 प्रतिशत बेड और ओपीडी के 10 प्रतिशत बीपीएल मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाएगा. इसके अलावा, नगर निगम और सरकारी कर्मचारियों के लिए भी इलाज में विशेष छूट की व्यवस्था होगी.

इस्लाम नगर में विस्थापितों के लिए बने फ्लैटों का भी उद्घाटन

इस अवसर पर मुख्यमंत्री इस्लाम नगर में वर्ष 2011 में अतिक्रमण हटाने के बाद विस्थापित लोगों के लिए बने फ्लैटों का भी उद्घाटन करेंगे. इन फ्लैटों का निर्माण काफी लंबे समय से लंबित था, और अब इस उद्घाटन के साथ विस्थापित परिवारों को अपने नए आवास मिलेंगे.

दस साल पहले किया गया था जमीन का आवंटन

अपोलो ग्रुप को रांची में हॉस्पिटल खोलने के लिए जमीन का आवंटन दस साल पहले किया गया था. 28 फरवरी 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपोलो ग्रुप को रांची नगर निगम द्वारा घाघरा इलाके में 2.80 एकड़ जमीन पर हॉस्पिटल खोलने का लेटर ऑफ अवार्ड सौंपा था. हालांकि, जमीन को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया और प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पाया. जुलाई 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नगर विकास विभाग को निर्देश दिया कि अपोलो ग्रुप को एक रुपए टोकन मनी पर जमीन दी जाए. इसके बाद कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली और अगस्त 2015 में नगर विकास विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी. लेकिन, प्रस्तावित जमीन पर रास्ते का विवाद हुआ और मामला अदालत तक पहुंच गया. तीन रैयतों ने उस जमीन को अपना बताते हुए हाईकोर्ट में केस कर दिया. अंततः हाईकोर्ट ने उस जमीन को रैयती घोषित कर निगम के दावे को खारिज कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपोलो ग्रुप को स्मार्ट सिटी में नई जमीन देने का निर्देश दिया, जिसके तहत अब अस्पताल का शिलान्यास हो रहा है. वहीं, स्मार्ट सिटी में राइट पाथ फाउंडेशन द्वारा 800 बेड का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने का प्रोजेक्ट भी चल रहा है, लेकिन इसे लेकर कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. फाउंडेशन के मुताबिक, उनके हॉस्पिटल की बिल्डिंग का नक्शा अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है और बाउंड्री वॉल के लिए बिजली कनेक्शन भी नहीं मिल रहा है. इसके अलावा, हटिया रेलवे स्टेशन से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी की समस्या भी हॉस्पिटल की जमीन पर हो रही है, जिसके बारे में कई बार अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस स्थिति को देखते हुए फाउंडेशन अब काम बंद करने पर विचार कर रहा है.

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