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अन्नपूर्णा देवी का राजकीय अतिथि का दर्जा खत्म, हेमंत साेरेन सरकार ने की कार्रवाई..

झारखंड सरकार ने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी के राजकीय अतिथि का दर्जा वापस ले लिया है। इस संबंध में मंत्रिमंडल निगरानी एवं समन्वय विभाग द्वारा शनिवार की रात पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि चूंकि प्रदेश में पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है और आदर्श चुनाव आचार संहिता प्रभावी है, ऐसे में इन्हें राजकीय अतिथि घोषित नहीं किया जा सकता है। उसके अनुसार सुविधाएं एवं प्रोटोकाल उपलब्ध कराया जाना भी संभव नहीं है। दरअसल, शिक्षा राज्यमंत्री की ओर से 17 एवं 18 अप्रैल को गिरिडीह, दुमका एवं धनबाद भ्रमण की सूचना देते हुए आवश्यक सुरक्षा एवं प्रोटोकाल संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था। दूसरी ओर राज सरकार के आदेश की प्रति मिलते ही कोडरमा सांसद सह केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्य सरकार द्वारा दी गई सारी सुविधाएं वापस कर दी हैं। वहीं, इस विषय पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राज्य सरकार का यह फरमान पूरी तरह से तुगलकी है।

तो क्या मैं डेढ़ महीने तक अपने क्षेत्र का भ्रमण नहीं करूं?
उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि डेढ़ माह तक राज्य में पंचायत चुनाव चलना है। ऐसे में केंद्र सरकार के मंत्री होने के नाते अपने राज्य व संसदीय क्षेत्र का भ्रमण नहीं करूं? यह पूरी तरह से अव्यवहारिक निर्णय है। उन्होंने कहा कि दरअसल राज्य सरकार अपनी विफलता के कारण पूरी तरह से डरी हुई है। सरकार जनता का विश्वास पूरी तरह से खो चुकी है। यही कारण है कि इस तरह के अव्यवहारिक निर्णय लिए जा रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा दी जानेवाली गरीब कल्याण अन्न योजना के अनाज का लाभुकों को नहीं मिल पा रहा है। राज्य में बड़े पैमाने पर इस अनाज की चोरी हो रही है। नल-जल योजना को भी सरकार लागू नहीं कर रही है। समग्र शिक्षा योजना के तहत दी जा रही सहायता को भी प्रभावित किया जा रहा है। एक तरफ सरकार केंद्रीय मंत्रियों के भ्रमण पर रोक लगाना चाह रही है, वहीं दूसरी तरफ चुनाव की घोषणा के बाद खुद बीडीओ का ट्रांसफर कर रही है।

खतियान की छाया प्रति के लिए परेशान हैं किसान..
गिरिडीह में किसान 40 दिन तक धरना पर बैठे रहें। आज उनका धरना समाप्त कराई हूं। इन लोगों की मांग केवल इतनी थी कि खतियान की प्रति उन्हें बिना परेशानी के मिले। लेकिन सरकार कोई नुमाइंदा 40 दिनों तक उनकी बात सुनने के लिए नहीं आया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि खतियान के लिए रैयतों को महीनों चप्पल घिसना पड़ रहा है। राज्य सरकार पूरी तरह से गूंगी-बहरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव को लेकर इस तरह का नियम केंद्रीय मंत्री पर लागू किया जा रहा है तो यह राज सरकार के मंत्री पर भी लागू होना चाहिए।