झारखंड की आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाएं, जो लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही थीं, अब हड़ताल पर चली गई हैं. इस हड़ताल का प्रभाव पूरे राज्य में आंगनबाड़ी सेवाओं पर पड़ेगा. आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है, और उन्होंने वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. शनिवार से शुरू हुई इस हड़ताल के कारण झारखंड के लगभग 38,000 आंगनबाड़ी केंद्र प्रभावित होंगे.
आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की प्रमुख मांगें
आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की कई प्रमुख मांगें हैं, जो उनकी हड़ताल का मुख्य कारण हैं.
उनकी मांगों में मुख्य रूप से शामिल हैं:
• सेवा शर्तों में संशोधन: सेविका-सहायिकाओं की मांग है कि सेवा शर्त नियमावली में आवश्यक संशोधन किए जाएं, ताकि उन्हें समय पर मानदेय और वार्षिक वृद्धि का लाभ मिल सके. वर्तमान में, उन्हें इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है.
• मानदेय में वृद्धि: सेविकाओं और सहायिकाओं की मांग है कि उनके मानदेय को सहायक अध्यापकों के तर्ज पर बढ़ाया जाए. इसके अलावा, केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले मानदेय का भुगतान एक साथ और नियमित रूप से हर महीने किया जाए. फिलहाल, भुगतान में देरी होने के कारण वे आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं.
• सेवानिवृत्ति लाभ: सेविकाओं की यह भी मांग है कि उन्हें सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्युटी और पेंशन जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएं, जो अभी तक उन्हें नहीं दी जाती हैं. इसके साथ ही, महिला पर्यवेक्षिका की बहाली के नियमों में संशोधन कर कार्यरत सेविकाओं को प्राथमिकता देने की भी मांग की जा रही है.
हड़ताल के असर
आंगनबाड़ी सेविकाओं की इस हड़ताल का राज्यभर में व्यापक असर होगा. सबसे बड़ा असर आंगनबाड़ी केंद्रों पर पड़ेगा, क्योंकि सेविकाओं और सहायिकाओं के हड़ताल पर जाने के कारण इन केंद्रों पर ताले लग जाएंगे.
इससे कई महत्वपूर्ण सेवाएं बाधित होंगी, जिनमें प्रमुख हैं:
• पोषण युक्त आहार की आपूर्ति: आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद होने से बच्चों को पोषण युक्त आहार नहीं मिल पाएगा, जो इन केंद्रों का एक महत्वपूर्ण कार्य है. इसके चलते राज्य के हजारों बच्चे प्रभावित होंगे, खासकर वे जो इन केंद्रों पर निर्भर हैं.
• टीकाकरण: आंगनबाड़ी सेविकाएं 6 साल तक के बच्चों के लिए टीकाकरण की सुविधा भी प्रदान करती हैं. हड़ताल के कारण इन बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाएगा, जिससे उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
• गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल: सेविकाएं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जानकारी लेने और नवजात शिशुओं व नर्सिंग माताओं की देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. हड़ताल के कारण इन सेवाओं का भी प्रभावित होना निश्चित है। इससे माताओं और शिशुओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
• छोटे बच्चों की देखभाल: सेविकाएं छोटे बच्चों को लाने-ले जाने में भी मदद करती हैं. हड़ताल के दौरान यह सेवाएं भी बाधित होंगी, जिससे छोटे बच्चों के परिवारों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.
हड़ताल से पहले का आंदोलन
इससे पहले, आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका संघ ने 23 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया था. उस समय, गिरिडीह के विधायक सुदिव्या कुमार सोनू ने उन्हें आश्वासन दिया था कि 27 सितंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा. लेकिन कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, जिससे सेविकाओं और सहायिकाओं में गहरी नाराजगी है. इसी नाराजगी के चलते उन्होंने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया.